गोंडा। ग्राम्य विकास अधिकारी के पद पर निर्धारित अर्हता न रखने वाले अभ्यर्थियों को बिना शासन की अनुमति के योगदान करा दिया गया। मामले में ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय में संबद्ध वरिष्ठ सहायक को निलंबित कर दिया गया है। संबंधित कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। मामला ग्राम्य विकास विभाग का है। उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा-2016 के आधार पर भूतपूर्व सैनिक काेटे से अभ्यर्थियों के नियुक्ति की संस्तुति की गई थी।
आयोग ने निर्धारित अर्हता पूर्ण न करने पर अभ्यर्थियों के नियुक्ति को शून्य मानकर कार्यवाही के निर्देश 11 फरवरी 2020 को दिए गए थे। इस फैसले के विरोध में अजयराज शर्मा व पांच अन्य अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए 15 जुलाई 2021 को आदेश जारी किए थे। बिना शासन के संज्ञान में लाए ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय के अनुभाग-दो से अभ्यर्थियों को ग्राम्य विकास अधिकारी पद पर योगदान कराने के लिए जिला विकास अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया गया।
विभागीय जांच में संबंधित पटल देख रहे वरिष्ठ सहायक सुशील कुमार श्रीवास्तव को लापरवाही व पदीय दायित्वों के निर्वहन में शिथिलता बरतने का दोषी पाया गया। संबंधित कर्मचारी की तैनाती जिला विकास अधिकारी गोंडा के कार्यालय में है, उसे ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय से कई वर्ष पूर्व संबद्ध किया गया था। ग्राम्य विकास आयुक्त वीरेंद्र कुमार तिवारी ने संबंधित कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करके अफसरों से रिपोर्ट मांगी थी। जिला विकास अधिकारी दिनकर कुमार विद्यार्थी ने वरिष्ठ सहायक को निलंबित करके पंडरीकृपाल ब्लाक से संबद्ध कर दिया है। मामले की विभागीय जांच खंड विकास अधिकारी झंझरी को सौंपी गई है। जांच अधिकारी से संबंधित कर्मचारी के खिलाफ आरोप पत्र गठित करके 15 दिवस में रिपोर्ट मांगी गई है।