Home News स्वच्छता रैंकिंग में और नीचे गिरे प्रयागराज , स्मार्ट सिटी का सफाई में है बुरा हाल

स्वच्छता रैंकिंग में और नीचे गिरे प्रयागराज , स्मार्ट सिटी का सफाई में है बुरा हाल

by Manju Maurya

प्रयागराज। स्वच्छता रैंकिंग में प्रयागराज की स्थिति और भी खराब हो गई है। पिछले साल प्रयागराज रैंकिंग में बीसवें स्थान पर था, उम्मीद थी कि रैंकिंग में सुधार होगा लेकिन ताजा रैंकिंग में छह स्थान और नीचे गिरकर प्रयागराज 26वें पायदान पर जा पहुंचा है। यह प्रयागराज नगर निगम के अधिकारियों के लिए सोचनीय है और इससे साफ है कि शहर में स्वच्छता में नगर निगम और यहां के लोग खरे नहीं उतरे हैं। शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिखते हैं। गंदगी फैली रहती है। कचरा कई दिन तक हटाया नहीं जाता है। घर-घर से कूड़ा उठान की भी हालत ठीक नहीं है। डस्टबिन नदारद हैं और लोग खुले में कचरा फेंकने को मजबूर हो रहे हैं।

जगह-जगह फैला दिखता है शहर में कचरा

केंद्र सरकार की मिनिस्ट्री आफ हाउसिंग एंड अरबन अफेयर्स ने देश के 4203 शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 की रैंकिंग जारी की तो प्रयागराज को पिछले साल के 20वें स्थान से आगे बढ़ने की बजाय छह स्थान और पीछे 26वें स्थान पर पहुंचा देख सफाई पसंद लोगों को जरूर धक्का लगा होगा। इसके लिए जिम्मेदार नगर निगम ही है जो साफ-सफाई के मानक पूरे नहीं कर पा रहा। कुंभ मेला के दौरान शहर में जगह-जगह रखे गए डस्टबिन अब दिखते नहीं हैं। शिवकुटी हो या करेली, मुंडेरा हो गया कालिंदीपुरम कालोनी, गोविंदपुर हो या राजरूपपुर, हर तरफ आपको सड़क पर कचरा फैला दिख जाएगा। शिवकुटी मेला रोड पर कचरा दिखेगा तो कालिंदीपुरम में कई जगह कूड़ा फैला मिलता है। इलाके के तमाम लोग खुले में कचरा फेंक रहे हैं। कालिंदीपुरम में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए गाड़ी जा रही है लेकिन बहुत से लोग मासिक शुल्क देने से बचने के लिए खुले में कचरा फेंककर गंदगी फैला रहे हैं। नगर निगम और लोगों की इस लापरवाही का नतीजा है कि प्रयागराज शहर में सफाई की हालत दयनीय है और इस वजह से स्मार्ट सिटी स्वच्छता रैंकिंग में और भी पिछड़ता जा रहा है।

क्या अब दूर होगी सफाई में यह लापरवाही

इस साल स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में गिरावट की वजह सीमा विस्तार के हिसाब से संसाधनों की उपलब्धता न होना, अफसरों का मौके पर जाकर सफाई व्यवस्था का निरीक्षण न करना, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था पूरे शहर में लागू न होना माना जा रहा है। सड़कों पर सफाई व्यवस्था बेहतर रहती है लेकिन गलियों और पुराने शहर की सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। शौचालयों के रखरखाव और सफाई को लेकर भी एजेंसियों द्वारा खास प्रयास नहीं किया जाता है। इन सब वजहों के कारण न रैंकिंग बरकरार रह सकी और न ही बढ़ सकी। 2 साल पहले 143 वां स्थान था।

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