प्रयागराज:यूपी-टीईटी से लेकर पीसीएस तक की परीक्षा सुरक्षित नहीं है। नकल माफिया की करतूत के कारण पहले भी कई परीक्षाएं निरस्त की जा चुकी हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सबसे प्रतिष्ठित पीसीएस परीक्षा में 2015 से लेकर 2018 तक तीन बार नकल माफिया पेपर लीक की घटना को अंजाम दे चुके हैं।इसका सबसे अधिक नुकसान उन प्रतियोगी छात्रों को होता है जो मेहनत करके अपना कॅरियर संवारना चाहते हैं। 29 मार्च 2015 को लखनऊ के आलमबाग स्थित एक परीक्षा केंद्र से पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2015 का पेपर आउट हो गया था।
चर्चा थी कि इस स्कूल के संचालक ने दो अध्यापकों के साथ मिलकर पेपर की फोटो खींची थी और उसे वाट्सएप पर डाल दिया था।पहले तो आयोग ने पहले पेपर आउट होने से इनकार कर दिया था। बाद में शासनस्तर से दबाव बनने पर सिर्फ सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा निरस्त कर 10 मई 2015 को दोबारा परीक्षा कराई गई। इस मामले की जांच यूपी एसटीएफ ने की थी। एसटीएफ ने माना था कि जिस सेंटर से पेपर आउट हुआ था, वहां पेपर निर्धारित अवधि से काफी पहले ही पहुंचा दिए गए थे।19 जून 2018 को आयोजित पीसीएस-2017 मुख्य परीक्षा की सामान्य हिंदी और निबंध का पेपर निरस्त करना पड़ा था। प्रयागराज के राजकीय इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र में दूसरी पाली में होने वाले निबंध का पेपर पहली पाली में बंट जाने के कारण परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी।इसी प्रकार पीसीएस तथा एसीएफ एवं आरएफओ मुख्य परीक्षा 2018 स्थगित करनी पड़ी थी। कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस मालिक के पास पीसीएस 2018 मुख्य परीक्षा का पेपर मिलने के बाद आयोग को परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी। समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) 2016 की प्रारंभिक परीक्षा भी पेपर लीक होने के कारण रद्द करनी पड़ी थी।इसके चलते यह भर्ती चार साल तक फंसी रही। 27 नवंबर 2016 को प्रदेश के कई जिलों में आयोजित परीक्षा का अंतिम परिणाम इस साल अप्रैल में घोषित हो सका।
लखनऊ के एक सेंटर से इसका पेपर परीक्षा से पूर्व व्हाट्सएप पर वायरल होने के आरोप लगे थे लेकिन आयोग ने शुरूआत में इसे नहीं माना। आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की पहल पर मामले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर हुई और फिर जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई।विशेष न्यायाधीश सीबीसीआईडी ने एक जनवरी 2020 को सीबीसीआईडी की फाइनल रिपोर्ट को निरस्त करते हुए मामले की दोबारा जांच किए जाने का आदेश दे दिया। आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम अनिश्चितकालीन रूप से टालने की बजाय नए सिरे से परीक्षा कराना उचित समझा, क्योंकि जांच की स्थिति में विवादित होने के कारण परीक्षा का परिणाम जारी करना उचित नहीं होता।
हर बार आउट होता है डीएलएड का पेपर
प्रयागराज। डीएलएड की सेमेस्टर परीक्षा का पेपर हर बार आउट होने का आरोप लगता है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय कई बार एक या दो पेपर की परीक्षा निरस्त भी कर चुका है। अक्तूबर 2020 में बीटीसी बैच 2013, सेवारत (मृतक आश्रित), एवं 2014, 2015, डीएलएड प्रशिक्षण 2017 एवं 2018 (अवशेष/अनुत्तीर्ण) और डीएलएड 2019 द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान गणित का पेपर लीक हो गया था। नवंबर के पहले सप्ताह में इसे निरस्त कर पूरे प्रदेश में नये सिरे से परीक्षा करानी पड़ी थी। उससे पहले भी कई बार डीएलएड पेपर लीक की घटनाएं हो चुकी है।