लखनऊ ..क्या आप राय अनूप प्रसाद काे पहले से जानते थे? एसटीएफ के इस सवाल पर पहले निलंबित सचिव संजय उपाध्याय साफ मुकर गए थे। फिर एसटीएफ ने जब दोनों के बीच मुलाकातों व जान-पहचान की कड़ियां खोलनी शुरू की तो संजय उपाध्याय चुप्पी साध गए। इसके बाद नोएडा के एक पांच सितारा होटल में दोनों के बीच मुलाकात की तारीख व समय बताया गया तो संजय उपाध्याय ज्यादा देर एसटीएफ अधिकारियों को गुमराह नहीं कर सके।
सूत्रों का कहना है कि राय अनूप की कंपनी काे वर्क आर्डर दिए जाने के तीन दिन पूर्व होटल में राय अनूप व संजय उपाध्याय मिले थे। जिसके बाद ही प्रश्नपत्र मुद्रण का लगभग 13 करोड़ रुपये का काम राय अनूप की कंपनी के हिस्से आ गया था। संजय व राय अनूप की मुलाकात नोएडा के जिस होटल में हुई थी, उसकी वीडियो फुटेज भी हासिल कर ली गई है। यह भी सामने आया है कि करीब छह माह पूर्व प्रयागराज में तैनाती पाने से पहले संजय उपाध्याय नोएडा में नियुक्त रह चुके थे। नोएडा में नियुक्ति के दाैरान ही संजय व राय अनूप प्रसाद की जान-पहचान हुई थी।
एसटीएफ की छानबीन में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। संजय उपाध्याय ने 26 अक्टूबर, 2021 को प्रश्नपत्र मुद्रण का वक आर्डर दिल्ली की कंपनी आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड के निदेशक राय अनूप प्रसाद को दिया था और इसके ठीक बाद से ही पेपर लीक कराने वाला गिरोह सक्रिय हो गया था। यानी लगभग एक माह पहले से ही कई शातिर यह समझ चुके थे कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र उनके हाथ में होगा। एसटीएफ की जांच में ऐसे तथ्यों के सामने आने के बाद कई संदिग्धों की भूमिका की जांच चल रही है। अब तक पकड़े गए आरोपितों के संपर्क में रहे कई लोगों की भूमिका की भी गहनता से छानबीन की जा रही है।
यही वजह है कि पूरे खेल में अभी कई और बड़े चेहरों के बेनकाब होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। संजय उपाध्याय के बीते दिनों संपर्क में रहे कुछ लोगों की भी पड़ताल की जा रही है। एसटीएफ खासकर मथुरा व प्रयागराज में पेपर लीक कराने वाले गिराेहों की जांच कर रही है। इन दोनों के आपसी कनेक्शन होने की आशंका भी है। हालांकि अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो सका है कि पेपर सबसे पहले किस गिरोह के हाथ लगा था। इसे लेकर कई बिंदुओं पर छानबीन के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही साल्वर गिरोह की भी पड़ताल चल रही है।