प्रयागराज। करीब दो वर्ष तक परिषदीय स्कूल बंद रहे। पठन-पाठन भी पटरी पर नहीं है। परिस्थितियां जैसे-जैसे सामान्य हो रही हैं, स्कूल के साथ विद्यार्थियों व अभिभावकों को भी अपडेट किया जा रहा है। प्रदेश भर में स्कूल रेडिनेस कार्यक्रम चल रहा है। प्रयागराज में भी इस कार्यक्रम के तहत स्कूलों, विद्यार्थियों व अभिभावकों को अपडेट किया जा रहा है। सभी विकास खंडों में 40 शिक्षकों का बैच बनाकर प्रशिक्षण का क्रम जारी है।
शिक्षकों और शिक्षामित्र होंगे प्रशिक्षित : समन्वयक प्रशिक्षण
समन्वयक प्रशिक्षण डा. विनोद मिश्र ने बताया कि जनपद में बेसिक शिक्षा के प्राथमिक विद्यालयों के 12 हजार 409 शिक्षकों व शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित किया जाना है। मऊआइमा, करछना, चाका, कोरांव में प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। अन्य विकास खंडों में भी प्रशिक्षण अंतिम दौर में है। इस कार्यक्रम के तहत स्कूल को अपडेट करने के साथ ही शिक्षकों, विद्यार्थियों व अभिभावकों को भी सजग बनाया जा रहा है। विद्यालय में गतिविधि आधारित शिक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। शिक्षकों को उनके अध्यापन कौशल को बेहतर बनाने के लिए टिप्स दिए जा रहे हैं। खासकर भाषा और गणित के प्रति विद्यार्थियों में रुचि बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं।
शिक्षकों पर अभिभावकों को सजग बनाने की जिम्मेदारी
समन्वयक प्रशिक्षण डा. विनोद मिश्र ने बताया कि प्रशिक्षण लेने वाले सभी अध्यापक अभिभावकों से मिलेंगे। उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करेंगे कि वह बच्चों की पढ़ाई में रुचि लें। नियमित रूप से बच्चों को स्कूल भेजने के साथ पाठ्या सामग्री से भी जुड़ें और शिक्षकों से भी संवाद करें।
बच्चों को घरेलू वातावरण देने का प्रयास
समन्वयक प्रशिक्षण ने बताया कि कई विद्यार्थी कोरोना काल के बाद स्कूल नहीं आना चाहते हैं। उनकी उदासीनता को खत्म करने के लिए विद्यालय में घरेलू वातावरण देने का प्रयास हो रहा है। कोशिश है कि मनोरंजन के साथ उनके बौद्धिक स्तर को बढ़ाया जाए। शिक्षकों को अध्यापन की शुरुआत घरेलू सवाल जवाब के साथ करने की सीख दी जा रही है। बच्चों में बुनियादी साक्षरता के साथ संख्यात्मकता का भी विकास कराया जा रहा है।
आंगनबाड़ी वर्कर्स को भी प्रशिक्षण
नई शिक्षा नीति के तहत ईसीसीई (अर्ली चाइल्ड केयरिंग एंड एजुकेशन कार्यशाला) का आयोजन आंगनबाड़ी वर्कर्स के लिए किया गया है। इस कार्यक्रम में प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसका लाभ तीन साल तक के बच्चों को मिलेगा। उन्हें विद्यालय में बैठने, बोलने व सामान्य व्यवहार के तौर तरीके समझाए जाएंगे जिससे जब वह पहली कक्षा में जाएं तो किसी तरह की कठिनाई न हो। वह तेजी से विषय से जुड़ सकें।