लखनऊ । वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करने की कोशिश में जुटी है। इसके लिए लगातार नियमों को लचीला भी बना रही है। इसी के तहत अब सरकार ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) की दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में 60 प्रतिशत अंकों की बाध्यता खत्म कर दी है।
यह नियम निजी शिक्षण संस्थानों के ऐसे प्रोफेशनल पाठ्यक्रम जिनमें दाखिला इंटरमीडिएट की मेरिट लिस्ट से होता है, उन पर लागू किया है। यानी अब इंटर में 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले छात्र-छात्राएं भी छात्रवृत्ति का लाभ पा सकेंगे। इस योजना का लाभ करीब एक लाख से अधिक छात्रों को मिलने की उम्मीद है।
दरअसल, अभी तक अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में संचालित प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में केवल उन छात्र-छात्राओं को ही छात्रवृत्ति मिलती थी जिनके इंटरमीडिएट में 60 प्रतिशत से अधिक अंक होते थे। अब सरकार ने इस नियम को हटा दिया है।
निदेशक समाज कल्याण राकेश कुमार ने सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को सरकार के नए दिशा-निर्देश शुक्रवार को भेज दिए। उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले छात्र-छात्राएं भी अब छात्रवृत्ति पा सकेंगे। आनलाइन आवेदन 10 जनवरी तक किए जा सकते हैं।