फतेहपुर। अमूमन छात्र रटंत विद्या यानी कि विषय रटकर कंठस्थ करते हैं। पूछने पर या परीक्षा में रटा-रटाया पाठ्यक्रम परोस देते हैं, लेकिन अमौली ब्लाक के परिषदीय स्कूल रुसिया का माहौल थोड़ा जुदा है। यहां पढ़ने वाले बच्चे संबंधित विषय पर ज्ञानार्जन कर अपनी पकड़ बनाते हैं। ऐसा संभव हुआ है विद्यालय की सहायक अध्यापिका शिप्रा सिंह के प्रयासों से। उन्होंने विद्यालय की चहारदीवारी को मस्ती की पाठशाला में तब्दील कर दिया है। यहां के बच्चों के खेल-खेल में पढ़ाई के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब ट्रेडिंग हो रहे हैं।
परिषदीय विद्यालय रुसिया में प्रभारी समेत तीन शिक्षक और एक शिक्षामित्र हैं। मौजूद समय यहां की छात्र संख्या 135 है। सितंबर 2018 में यहां तैनात हुईं सहायक अध्यापिका शिप्रा सिंह कानपुर के आदर्श नगर की रहने वाली हैं। शिप्रा ने बताया कि जब वह यहां आईं तो बच्चों को रटकर पढ़ते देखा, लेकिन जिन विषयों को रटते थे, उनके सामने आने पर पहचान नहीं पाते थे।
बच्चे जो पढ़ते हैं उसे महसूस करें, समझें और जानें इसके लिए उन्होंने कविताओं और खेल-खेल में पढ़ाई के माध्यम से पढ़ाना शुरू किया। उनके पढ़ाने का तरीका इतना रोचक और नायाब है कि उन्होंने फेसबुक में मस्ती की पाठशाला नाम से ग्रुप बनाया तो उसे फॉलो करने वालों की संख्या 23 हजार पहुंच गईं।
अब उन्होंने यू-ट्यूब चैनल शुरू किया, इससे ढाई सौ से अधिक लोग फॉलोअर हैं। शिप्रा कहती हैं कि यदि हम सरकारी स्कूल के अध्यापक के रूप में चयनित हुए हैं, तो हमारी जिम्मेदारी इन गांव के बच्चों के प्रति दुगनी हो जाती है। इससे और अधिक मेहनत करके इन बच्चों को इस लायक बनाना है जिससे बेसिक शिक्षा का मान बढ़ा सके। शिप्रा की मेहनत का नतीजा है कि परिषदीय स्कूल रुसिया के बच्चों का शैक्षिक स्तर किसी कान्वेंट स्कूल के बच्चों से कम नहीं है।