सभी राजनीतिक दलों की सहमति के आधार पर चुनाव आयोग समय से पांच राज्यों में चुनाव करवाने की तैयारी में तो जुट गया है, लेकिन ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का निश्चय भी किया गया है। इससे न तो राजनीतिक दल बचेंगे, न मतदान कर्मी और न ही वोटर। उल्लंघन करने वाले नेताओं पर कुछ पाबंदियां लग सकती हैं तो वोटर को वोट डालने से रोका भी जा सकता है। चुनाव आयोग पांच जनवरी के बाद कभी भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।
आयोग पांचों चुनावी राज्यों का दौरा कर चुका है और सभी राज्यों की तैयारियों से संतुष्ट है। कोरोना वायरस का नया वैरिएंट भले ही हर दिन बढ़ रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समय पर ही होंगे। यह जरूर है कि लोगों को महामारी से बचाने के लिए कड़ी चुनावी बंदिशें लागू होंगी। इसके तहत घर-घर जाकर पहले जैसा प्रचार और भीड़ जुटाने वाली रैलियां नहीं होंगी।
एक विचार यह भी है कि प्रचार की अवधि कम की जाए। प्रचार अभियान में लोगों की संख्या भी सीमित हो सकती है। साथ ही मतदान के दौरान मास्क लगाना अनिवार्य होगा। यदि कोई इसका उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उसे वोट डालने से भी रोका जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, आयोग के ऐसे निर्णय के बारे में पूरा प्रचार किया जाएगा, ताकि लोग जागरूक रहें। नेताओं की ओर से यह चूक होती है तो वे आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में आ सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो ज्यादातर राज्यों से जो रिपोर्ट आई है, उसके आधार पर भी आयोग कुछ नए सुरक्षा प्रोटोकाल तय करने में जुटा है। शारीरिक दूरी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। लोगों को भीड़ से बचाने के लिए पोलिग बूथों की संख्या बढ़ाई जा रही है। एक बूथ पर एक हजार या उससे कम लोगों की भीड़ होगी।
सैनिटाइजेशन और वैक्सीनेशन को भी प्रभावी तरीके से लागू करने की तैयारी है। बूथ एजेंट के लिए वैक्सीन की डबल डोज अनिवार्य होगी। विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय टीम चुनावों के दौरान अपनाए जाने वाले स्वास्थ्य प्रोटोकाल को तैयार करने में जुटी है। माना जा रहा है कि चुनाव कार्यक्रमों के एलान के साथ ही इस पर सख्ती से अमल भी शुरू हो जाएगा। ओमिक्रोन संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन चुनावों के दौरान प्रचार की अवधि को भी कम किया जा सकता है।