नई दिल्ली : स्कूलों की जरूरतों की पूर्ति व उनसे लोगों का जुड़ाव बढ़ाने के लिए शुरू की गई विद्यांजलि योजना को अब उच्च शिक्षण संस्थानों में भी लागू करने की तैयारी है। शिक्षा मंत्रालय की इस योजना के तहत सेवानिवृत्त या सेवारत प्रोफेसर, अधिकारी, पेशेवर व पीएचडी या स्नातकोत्तर डिग्रीधारी आसपास के उच्च शिक्षण संस्थानों में स्वैच्छिक रूप से पढ़ा सकेंगे। कौशल विशेषज्ञों को भी अपना हुनर बांटने का मौका मिलेगा।
उच्च शिक्षण संस्थानों में स्वैच्छिक रूप से पढ़ाने के इच्छुक पात्रों को पहले पंजीकरण करना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि उनकी रुचि ऐसे किस विषय में है जो छात्रों के लिए उपयोगी होगा। पंजीकरण कराने वालों को संस्थान जरूरत के अनुरूप आमंत्रित करेंगे।
इय योजना के पीछे हैं मंत्रालय के ये दो उद्देश्य
विद्यांजलि योजना की वेबसाइट पर संस्थानों के बुनियादी ढांचे और पठन-पाठन की जरूरतों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अनुरूप कोई भी व्यक्ति या संस्था उच्च शिक्षण संस्थानों की मदद कर सकेगा। योजना के पीछे मंत्रालय के दो उद्देश्य हैं। पहला, संस्थानों की जरूरत की पूर्ति हो जाएगी और दूसरा, लोगों का संस्थानों के प्रति जुड़ाव बढ़ेगा।
गौरतलब है कि फिलहाल उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी है। विशेषज्ञ या कौशल से जुड़े शिक्षकों का तो घोर अभाव है। सरकार का मानना है कि यह योजना शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करेगी, जिससे छात्रा लाभान्वित होंगे। फिलहाल, देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में चार करोड़ से ज्यादा छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
योजना से जुड़ चुके हैं एक लाख से ज्यादा स्कूल
विद्यांजलि योजना से अबतक एक लाख से ज्यादा स्कूल जुड़ चुके हैं। ज्यादातर स्कूल दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद हैं और वहां बुनियादी ढांचे का भी अभाव है। स्कूलों में पढ़ाने के लिए 13 हजार से ज्यादा लोग पंजीकरण करा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की सेवाएं ली जा रही हैं। 15 हजार से ज्यादा स्कूलों ने डिजिटल या आनलाइन पढ़ाई के लिए संसाधानों की मांग की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इन स्कूलों के 11 हजार से ज्यादा छात्रों को डिजिटल पठन-पाठन के संसाधन मुहैया करा दिए गए हैं। इनमें मोबाइल व प्रोजेक्टर आदि शामिल हैं।