लखनऊ । पढ़ाई और सुविधाओं के मामले में यूपी बोर्ड के अधीन संचालित स्कूलों का निजी स्कूलों की तुलना में फिसड्डी रहना जगजाहिर है, टीकाकरण में भी यूपी बोर्ड के स्कूल फिसड्डी साबित हुए हैं। स्कूलों में छुट्टियां घोषित हैं, मगर टीकाकरण कराने के लिए बच्चों का स्कूल जाना अनिवार्य है। गंभीर बात है कि छुट्टियों का लाभ बच्चों से अधिक गुरुजी उठा रहे हैं। अधिकांश गुरुजी न तो खुद स्कूल आ रहे हैं और न ही बच्चों को टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जबकि इसके ठीक उलट निजी स्कूलों में टीकाकरण के पहले दिन से ही 15 से 18 वर्ष तक विद्यार्थियों को टीके के प्रति न सिर्फ जागरूक किया जा रहा है, बल्कि उन्हें स्कूल लाने व ले जाने तक की भी सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
स्कूलों के साथ हुई बैठक में सामने आइ चौकाने वाली बातः 15 से 18 वर्ष के विद्यार्थियों के लिए चल रहे टीकाकरण को लेकर चौकाने वाली बात सामने आई है। यूपी बोर्ड के अधीन संचालित राजकीय इंटर कालेजों, अशासकीय, वित्तविहीन कालेजों में पढ़ने वाले 15 से 18 वर्ष तक के विद्यार्थी टीकाकरण कराने से किनारा काट रहे हैं। मामले ने शिक्षाधिकारी की चिंता बढ़ा दी। मामला जब जिला विद्यालय निरीक्षक डा अमरकांत सिंह के संज्ञान मेें आया तो उन्होंने ने बस सभी स्कूल प्रबंधकों व प्रिंसिपलों को पत्र जारी कर खानापूरी की। उनकी ओर से वैश्विक महामारी से बचाव के लिए चल रहे टीकाकरण के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी गई। हालांकि उनकी ओर से टीकाकरण न कराए जाने पर आफलाइन क्लास में शामिल होने में परेशानी की बात का उल्लेख जरूर किया गया।
- स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्कूलों में रोजाना टीकाकरण के लिए कैंप की सूची भेजी जाती है। प्रत्येक केंद्र पर टीकाकरण के प्रतिशत की भी नियमित मानीटरिंग की जा रही है। शिक्षकों के जरिए बच्चों को भी जागरूक किया जा रहा है। इसमें अगर शिक्षक लापरवाही बरतेंगे तो उनसे जवाब तलब किया जाएगा। -डा अमरकांत सिंह, डीआइओएस