नई दिल्ली: कहीं सांसदों की शिथिलता तो कहीं लचर स्थानीय प्रशासन के कारण 2015 में घोषित सांसद आदर्श ग्राम योजना तो खैर अपेक्षित रूप से परवान नही चढ़ सकी, लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में अब तक पिछड़े एससी बाहुल्य गांवों को विकसित करने का एक बड़ा सपना पूरा होता दिख रहा है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम का सोच तो 2009 में ही बन गया था, लेकिन काम 2014-15 में शुरू हो पाया। अगले छह महीनों के भीतर देश के आठ हजार से ज्यादा ऐसे गांव अब आदर्श ग्राम बन जाएंगे जहां लोगों की आम जरूरत से जुड़ी लगभग हर सुविधा मौजूद होगी। साथ ही आम लोगों के विकास से जुड़ी केंद्र सरकार की योजनाओं का अमल भी दिखेगा। आदर्श ग्राम घोषित करने का काम इसी महीने शुरू हो जाएगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत यह बड़ा काम हाथ में लिया है। इसमें वर्ष 2025 तक देशभर के सभी एससी बाहुल्य गांवों को आदर्श ग्राम बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इनकी संख्या मौजूदा समय में करीब 27 हजार है। पहले चरण में 11 राज्यों के 8,370 एससी बाहुल्य गांवों को आदर्श ग्राम के मानकों के अनुरूप तैयार करने का काम लगभग पूरा हो गया है। ऐसे में राज्यों की हरी झंडी मिलते ही इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी।
मंत्रलय ने आजादी के अमृत महोत्सव में इसे घोषित करने की योजना तैयार की है, जिसमें जनवरी से शुरुआत होगी और जुलाई तक बारी-बारी से सभी राज्यों के आदर्श ग्रामों की घोषणा की जाएगी। इसकी शुरुआत आंध्र प्रदेश से होगी, जिसके करीब 800 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में घोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के भी करीब 2,500 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया गया है जिनकी घोषणा जुलाई में होगी। आदर्श ग्रामों में पंजाब के 550 गांव, मध्य प्रदेश के 1,000 गांव, राजस्थान के 950 गांव, कर्नाटक के 750 गांव, हरियाणा के 215 गांव, झारखंड के 200, हिमाचल प्रदेश के 275 गांव, ओडिशा के 600 गांव व छत्तीसगढ़ के 530 गांव शामिल हैं।
योजना के तहत यूपी के करीब 2,500 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में किया गया है विकसित, घोषणा जुलाई में
आदर्श ग्राम योजना संपादकीय