वाराणसी के बीएचयू, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, डीएवीपीजी कॉलेज में अर्थशास्त्र, वाणिज्य विभाग के जानकारों ने कहा कि इस साल जो बजट पेश किया गया है, उसका आने वाले दिनों में असर देखने को मिलेगा। हां आयकर स्लैब में कोई बदलाव न होने से नौकरीपेशा वालों को निराशा हाथ लगी है। ऐसा लगता है, सरकार ने कृषि क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया है।
कोरोना काल में भी राहत की उम्मीदों को झटका
कोरोना काल में बजट से लोगों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं होने से नौकरी और कारोबार करने वालों को निराशा हुई है। यही नहीं किसानों को विशेष रियायत न देने के कारण वह भी बजट से बहुत निराश हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अपेक्षाकृत बजट में कुछ खास नहीं मिला। इतना जरूर है कि कारपोरेट टैक्स 18 से घटाकर 15 प्रतिशत करने से एक उल्लेखनीय रियायत जरूर मिली है। जो आत्मनिर्भर भारत की ओर संकेत करता है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी आएगी। साथ ही रोजगार में बढ़ोतरी होगी। शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण के फैसले से विभिन्न क्षेत्रों में तीव्रगामी विकास करने का प्रयास एवं प्रावधान बजट में किया गया है। सौंदर्य प्रसाधन सहित उनकी जरूरत के अन्य सामानों के दाम में कमी से महिलाएं बहुत खुश होंगी। – प्रोफेसर अजीत कुमार शुक्ल, वाणिज्य विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
सरकार ने पेश किया दूरगामी बजट
इस साल का बजट आने वाले 25 वर्षों का ब्लू प्रिंट है। 25000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए जाने, पांच वर्षों में 60 लाख नए रोजगार के अवसर प्रदान करने की घोषणा से बहुत से जरूरतमंदों को फायदा मिलेगा। तीन वर्षों में 400 नई वंदे भारत ट्रेनों के संचालन के फैसले से रेल यात्रा भी सुगम होगी।
200 नए टीवी चैनल के माध्यम से ई विद्या शिक्षण कार्यक्रम को क्षेत्रीय भाषा में चलाने से बच्चों को लाभ मिलेगा। डिजिटल विश्वविद्यालयों की स्थापना से छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ने का मौका मिलेगा। 2022-23 में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत सरकार ने अनुमानित किया है, जो पिछले वर्ष से कम है। स्टॉक मार्केट ने भी बजट का स्वागत किया है। जिसकी वजह से 883 अंकों का उछाल देखा गया। तो बजट को अच्छा कहा जा सकता है। – डॉ. पारुल जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, डीएवीपीजी कॉलेज
सकारात्मक और दीर्घकालिक विकास वाला बजट
पूंजीगत खर्चों में 35 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि सरकार द्वारा दीर्घकाल में विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसमें रोजगार सृजन के साथ ही अर्थव्यवस्था को आधारभूत संरचनाओं के विकास का काम प्राप्त होगा। डिजिटल मुद्रा से संबंधित निवेशकों से 30 प्रतिशत कर लेने से सरकार के राजस्व पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा और इस तरह की मुद्रा पर बना संशय भी समाप्त हो जाएगा। नई पेंशन योजना में नियोक्ता का योगदान 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने से कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा में भी वृद्धि होगी। आयकर की दरों में परिवर्तन न होने से वेतनभोगी लोगों में निराशा भी हैं। विश्व असमानता रिपोर्ट को देखा जाए तो 10 प्रतिशत लोगों के पास देश की 65 प्रतिशत धन संपदा है। ऐसे में उच्च वर्ग पर धन संपदा कर लगाना चाहिए था। कृषि क्षेत्र में विशेष पैकेज की घोषणा नहीं हुई है। – प्रो. राकेश सिंह, कृषि अर्थशास्त्र विभाग, बीएचयू
इस बजट का दीर्घकालीन लाभ देखने को मिलेगा। वैसे भी सरकार ने कोरोना काल में बहुत बेहतर काम किया है, जिसका इस समय तो लाभ मिल ही रहा है और आने वाले दिनों में भी लोगों को मिलेगा। एक बात जरूर है कि सरकार को थोड़ा मध्यम वर्गीय लोगों का भी ख्याल रखना चाहिए था। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न होने से इस वर्ग के लोगों में बहुत निराशा है। कम से कम पांच लाख रुपये तक टैक्स में छूट देनी चाहिए था। वहीं, ऑनलाइन कक्षाएं चलाने वाले सामान्य शिक्षकों जैसे सेल्फ फाइनेंस कालेज, विश्वविद्यालय वाले हैं, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन 80 सीए में छूट देना चाहिए था, दो साल से अभी भी विश्वविद्यालय में कक्षाएं ऑनलाइन चल रही हैं, ऐसे में पैसे खर्च हो रहे हैं तो उस पर छूट देना चाहिए था।
– प्रो. केएस जायसवाल, वाणिज्य विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ