प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून संशोधित होने से पहले दिए गए अदालती फैसले के आधार पर लाभ नहीं दिया जा सकता। खाली पद पर नियमानुसार कानून के तहत की गई नियुक्ति ही मान्य है। कोर्ट ने कहा कि समय से नियमित नहीं करना वरिष्ठता व अन्य सेवा परिलाभों से वंचित करना है, सरकार ‘पिक एंड चूज’ नहीं कर सकती। सेवा नियमितीकरण नियमावली के लाभ से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने लघु सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर को ललितपुर से सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता राजबहादुर को सेवानिवृत्ति परिलाभों सहित पेंशन भुगतान पर निर्णय लेने और सेवा जनित परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील को निस्तारित कर दिया है। राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने बहस की। नियुक्ति सिंचाई विभाग में कनिष्ठ अभियंता के रूप में एक जनवरी, 1989 को हुई थी। वह बिना पद दैनिक वेतन पर वर्षों तक कार्यरत रहा। कोर्ट ने 21 फरवरी, 1997 को न्यूनतम वेतन भुगतान पर को निर्णय लेने का निर्देश दिया। चीफ इंजीनियर ने तीन सितंबर, 1997 को न्यूनतम वेतन भुगतान का आदेश दिया, लेकिन नियमित करने से इन्कार कर दिया। इसको सेवा अधिकरण में चुनौती दी गई।