प्रयागराज,। यूपी विधान सभा 2022 की चुनावी बयार पूरी तरह बह चली है। नेता से लेकर जनता-जनार्दन तक लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपनी-अपनी तरफ से आहुति देने के लिए तैयार हैं। रोजगार से लेकर महंगाई तक पर बहस छिड़ी है। हालांकि भ्रष्टाचार, ईमानदारी और सुरक्षा की गारंटी पर बात आकर टिक जाती है। आम मतदाता उधेड़बुन में है। उन्हें अपने-अपने ढंग से मनाने, समझाने और रिझाने का दौर शुरू हो चुका है। विभिन्न दलों के नेता दिन-रात मतदाता का मूड भांपने में लगे हैं। कई दलों की टुकड़ी साम, दाम, दंड-भेद सब कुछ दांव पर लगा बैठी है। दैनिक जागरण की टीम बाइक से प्रतापगढ़ की सदर विधान सभा क्षेत्र में भ्रमण पर थी। पेश है इस पर रिपोर्ट।
प्रतापगढ़ सदर विधान सीट के मतदाताओं का जानें विचार
प्रतापगढ़ शहर में घंटाघर के पास दुकानों पर ग्राहकों का जमावड़ा था, कई ग्राहकों के बीच घिरे पंकज खंडेलवाल के पास वक्त नहीं था। एक ग्राहक उनसे उलझ गया। उसे वह समझाते हुए कह रहे थे, देख तू हमार कई बरस से ग्राहक अहा, तोहसे हम एक रुपिया फायदा नाहीं लेत अही। अभी वह कुछ और श्रद्धाभाव दिखाते, इसी बीच एक पार्टी के कुछ नेतागण टोपी लगाकर पहुंच गए। का हो सेठ, देखा यहं बार धोखा ना होई का चाही। उन लोगों के जाते ही वह अपने पास खड़े गिरीश मिश्र से बुदबुदाते हैं, देखत अहा, ई नाहीं समझ में आई कि ए सब धमकी देई आय रहेन कि वोट मांगय। इहीं बरे हम एक बात क गांठ बांध लिए अही, जीवन भर ईमानदारी से जीएसटी देब, हमका सुरक्षा कै गारंटी चाही, बूझ केहर जात बा हमार वोटवा। इसी बीच चाय वाला सुशील पहुंच गया, सेठ को चुप कराते हुए बोला, चाहे जेका वोट देय, मगर हर दल के नेतवन के ईहै बोलय, कि हम त भइया तुहिन के वोट देब। हां…हां…चल…चल…अब तोहरे बताए पर त हम चलि पाउब, हमार मर्जी हम चाहे जेका वोट देई, छाती ठोंक के देब।
मकुनपुर बाजार में प्रत्याशी पर हो रही थी चर्चा
दैनिक जागरण की बाइक अब आगे के लिए निकल चुकी थी। सदर विधान सभा क्षेत्र के मकुनपुर बाजार की एक दर्जन दुकानों पर गिने-चुने ग्राहक खड़े थे। बाजार के बीच में दो बेंच और तीन-चार कुर्सियों पर बैठे लोग धूप सेंकते मिले। आपस में राजनीति पर बहस भी चल रही थी। हर कोई अपने हिसाब से अलग-अलग दलों की हवा बताता नहीं अघा रहा था। एक प्रत्याशी पर लोग खासा दिमाग लगा रहे थे, वो प्रत्याशी त बहुत अच्छा बाएन, एहमा कोनऊ दोउ राय नाहीं बा, मगर पार्टी बड़ा गलत पकड़ लीन अहैं, उनसे हमार बहुत प्यार-मोहब्बत बा, मगर आपन वोटवा हम बर्बाद ना करब, जानत अहा तिवारी जी, हम राष्ट्रहित के नाते वोट देब, समझत..अह..हम केका वोट देब, इतना कहकर हाथ उठाकर गुलाब चंद्र मिश्र मचल उठे। उनका इस तरह इठलाना पास बैठे श्रवण कुमार शुक्ला को नहीं भाया। हम कुल जानत अही। गुलाब चंद्र मिश्र तमक कर उठ खड़े हुए। देख भाई, सब लोग जानत अहैं कि अतीक, विजय मिश्रा से लेकर अंसारी तक को जेल में पड़ा अहैं, गुंडई धराशायी होइ गई, और का लेब। श्रवण कुमार शुक्ला उनकी बात का मौखाल उड़ाते हुए अपना तर्क देते हैं, असल में मिसिर जी, असलियत से बहुत दूर हैं आप, अरे इस सरकार में माफिया जेल में बंद हैं, लेकिन असलियत में ये माफिया जेल में ही सुरक्षित रहते हैं। वहीं से अपनी सरकार चला रहे हैं।
हाई कोर्ट के अधिवक्ता ने भी दिया अपना तर्क
इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता रोहित मिश्रा कहते हैं कि भाई, सरकार ने माफिया को बंद कर रखा है, सबके मुकदमे का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। कोई भी माफिया जेल से अपनी सरकार नहीं चला पा रहा, इस सरकार में तो संभव ही नहीं है। या.. देखय, वकील साहब सोलह आना सच बात कहि दिहेन, इतना कहते हुए वहां बैठे सबसे बुजुर्ग व्यक्ति गायत्री प्रसाद तिवारी गुस्से से भर उठते हैं, अब हम सौ बात क एक बात कहत अही। अगर हम गलत कही तो तोहार जूता और हमार सिर। गौ माता के रक्षा के लिए हम-तू कितना परेशान रहे। अब जब इ सरकार में गौ माता की रक्षा के लिए गांव-गांव में गौ आश्रय स्थल बनाय दिहिन गवा, तौ फिर छुट्टा जानवर के छोड़त अहै, हम और तू अपने घर क गोरू-बछरू छोड़ देत अही, सरकार कैसे दोषी भई, बतावा। जहां तक असुरक्षा क बात अहै, पूंछ ल बैठा अहैंन मो. इरशाद, अपना नाम सुन इरशाद नाम का युवक मानो जाग पड़ा, बिना पूछे बोल पड़ा, नाहीं उसको किसी तरह की असुरक्षा नहीं है। वहां बैठे संजीत कुमार शर्मा, राम मनोहर रजक, अजय ओझा, गिरिजा शंकर सोनी, शंभूनाथ शुक्ला व अंजनी कुमार मिश्रा भी अपना तर्क पेश करते हैं, मगर अंत तक निष्कर्ष नहीं निकल पाया कि आखिर किस दल का पलड़ा भारी है।