गोरखपुर। देश के चार राज्यों गुजरात, असम, उड़ीसा व पश्चिम बंगाल की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश में भी चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (सीटीएस) लागू होगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कक्षा छह से 14 वर्ष की नामांकित छात्रों के लिए लागू होने वाले इस चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम की मदद से न सिर्फ बच्चों की एक से दूसरे कक्षा तक हुई प्रगति पर नजर रखी जाएगी बल्कि बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों का भी पता लग सकेगा।
योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता
में नौ सदस्यीय कोर टीम का गठन किया गया है। जिसमें गोरखपुर के प्राथमिक विद्यालय तिलौली सरदारनगर की प्रधानाध्यापक अल्पा निगम समेत बलरामपुर, बुलंदशहर, श्रावस्ती, मऊ, बाराबंकी, फतेहपुर तथा गोंडा के प्राथमिक विद्यालयों के छह प्रधानाध्यापक व दो सहायक अध्यापकों को सदस्य नामित किया गया है। टीम अन्य राज्यों में लागू इस योजना के कार्यों को लेकर अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी, ताकि इसे प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू किया जा सके।
ऐस काम करेगा चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम
कोर टीम की सदस्य अल्पा निगम ने बताया कि साफ्टवेयर के जरिये एक एप तैयार की जाएगी। जिसके माध्यम से प्रत्येक बच्चों का चिह्नांकन किया जाएगा। इसके लिए हर बच्चे को यूनिक चाइल्ड कोड दिया जाएगा। जिसके माध्यम से उस बच्चे की जानकारी हो सकेगी। यह पता चल सकेगा कि बच्चा स्कूल से बाहर क्यों है? इसका आकलन कर उपचारात्मक शिक्षण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
फर्जी नामांकन पर लगेगा अंकुश
वर्तमान में जिले के सरकारी, सहायता व मदरसे में लगभग साढ़े तीन लाख छात्र पंजीकृत हैं। चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम के तहत छात्रों का समस्त ब्योरा यू-डायस के जरिये आनलाइन होगा। साथ ही इस ब्योरा को छात्र के आधार कार्ड से भी लिंक कराया जाएगा। अब तक इन छात्रों की संख्या सर्व शिक्षा अभियान के एकीकृत सूचना प्रणाली पर फीड की जाती रही है, लेकिन इन सरकारी स्कूलों के साथ मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों व मदरसों में अक्सर छात्रों की फर्जी नामांकन की शिकायतें आती रहती हैं। नई व्यवस्था के तहत नामांकन में होने वाले फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगेगा।