लखनऊ उत्तर प्रदेश के चार और जिलों में गोंड और उसके पर्याय वाली पांच जातियां धूरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को शीघ्र ही अनुसूचित जनजाति (एसटी) का प्रमाण पत्र मिलने लगेगा। यह जिले चंदौली, भदोही, संतकबीरनगर और कुशीनगर हैं। इसका संबंधित बिल सोमवार को ही लोकसभा में पेश हो चुका है। इससे करीब पांच लाख लोग लाभांवित होंगे।
दरअसल, एससी-एसटी (संशोधन) अधिनियम 2002 के तहत उत्तर प्रदेश में गोंड, धूरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को 13 जिलों में एसटी का दर्जा प्राप्त है। इन जिलों में महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, मीरजापुर और सोनभद्र शामिल हैं। शेष 62 जिलों में गोंड जाति अनुसूचित जाति (एससी) में दर्ज हैं।
अलग-अलग समय पर इन 13 जिलों में से ही चार अलग-अलग जिले चंदौली, भदोही, संतकबीरनगर और कुशीनगर बनाए गए हैं। इन चार जिलों में भी गोंड सहित छह जातियां अनुसूचित जाति में दर्ज थीं। इसका इन जिलों के लोग लंबे समय से विरोध कर रहे थे। उनका कहना है कि मूल जिले में तो उन्हें एसटी का दर्जा मिलता था, जबकि नए बने जिले में एससी का प्रमाण पत्र मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान ने वर्ष 2013 में इस मांग को जायज ठहराते हुए अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी थी। प्रदेश सरकार के माध्यम से यह रिपोर्ट केंद्र भेज दी गई थी। पिछले साल प्रदेश सरकार ने एक बार फिर रिमाइंडर भेजा। इसी के बाद इसे लोकसभा में पेश कर दिया गया।
नए सृजित जिलों में इन जातियों को एसटी का दर्जा दिए जाने के रास्ते में आ रही सभी बाधाओं को दूर कर लिया गया है। लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया पूरी होते ही अधिसूचना जारी हो जाएगा।