मैनपुरी। नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है, बेसिक शिक्षा विभाग के सामने कई चुनौतियां हैं। एक तरफ जहां जर्जर भवन छात्र और शिक्षकों के लिए परेशानी का कारण बने हैं। वहीं, जिले में दो सौ से अधिक स्कूलों में मात्र दो-दो शिक्षकों की ही तैनाती है, जो पांच-पांच कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं। नए सत्र से पहले शिक्षकों की तैनाती पर ध्यान नहीं दिया गया। बेहतर शिक्षा के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।
कोरोना काल के बाद अब एक अप्रैल से विधिवत शिक्षा सत्र 2022-23 का शुक्रवार को शुभारंभ हो गया। नया शिक्षा सत्र कई चुनौतियों से भरा हुआ है। कोरोना महामारी के कारण एक तरफ जहां दो साल की पढ़ाई का छात्र-छात्राओं और शिक्षकों पर बोझ होगा, वहीं दूसरी तरफ नई शिक्षा नीति भी परेशानी का कारण बन सकती है। अभी तक नई शिक्षा नीति को लेकर विभाग ने तैयारी नहीं की है। वहीं, जिले में दो सैकड़ा से अधिक स्कूल भवन जर्जर हैं, यहां छात्र-छात्राओं को विद्यालय आने में भी दिक्कते हैं। जर्जर भवन के कारण छात्र संख्या कम होती जा रही है। दूसरी तरफ 200 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां मात्र दो-दो शिक्षकों की ही तैनाती है। इसमें से शिक्षक अधिकतर सरकारी सूचनाओं के आदान-प्रदान में लगे रहते हैं। एक ही शिक्षक पर पांच-पांच कक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी बनी हुई है।
सत्र शुरू किताबें अब तक नहीं आईं
नया सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग की अभी छात्र-छात्राओं की पुस्तिकाओं के लिए कोई तैयारी नहीं है। उच्चाधिकारियों का आदेश आने के बाद बीएसए ने पुरानी किताबों से ही शिक्षण कार्य कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, जो छात्र स्कूलों से निकल गए हैं वे किताबें जमा कराने को तैयार नहीं है। हालांकि प्रधानाध्यापक इस संबंध में प्रयास कर रहे हैं।
289 जर्जर भवनों का एक साल में भी नहीं हो सका निदान
जिले के 280 परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर हैं। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी थी। एक साल से जर्जर भवन की फाइल अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रही हैं। डीएम ने निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ एक मूल्यांकन समिति का गठन किया है, लेकिन एक साल बाद भी यह समिति अपनी रिपोर्ट नहीं लगा सकी है। समिति की रिपोर्ट न आने के कारण जर्जर भवन के स्थान पर दूसरे भवन निर्माण के लिए धनराशि नहीं मिल पा रही है।
नए सत्र में नई शिक्षा की बात की जा रही है। लेकिन शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की समस्याओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जब तक समस्याएं दूर नहीं होंगी तब तक शिक्षक किस प्रकार से बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।
राजीव कुमार, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ
नया सत्र शुरू होने जा रहा है। किताबों के नाम पर पुरानी किताबों के संचालन की बात कही गई है। लेकिन कुछ छात्र सत्र समापन के बाद अपने घरों पर है, उन्हें किताबें जमा करने को कहा गया है कि लेकिन वे किताबें जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में पुरानी किताबों से शिक्षा देने में दिक्कतें आ सकती हैं।
प्रणवीर सिंह, जिला संयोजक प्राथमिक शिक्षक संघ
एक तरफ शिक्षा के गुणात्मक सुधार की बात कही जा रही है। वहीं छात्र-शिक्षक अनुपात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नए सत्र से पहले शिक्षकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर ध्यान नहीं दिया गया। कई स्कूलों में मानक विहीन शिक्षकों की तैनती है जो बेहतर शिक्षा में बाधा बन रही है।
हरेंद सिंह जिलाध्यक्ष अंतर्जनपदीय वेलफेयर एसोसिएशन