लखनऊ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने में लखनऊ विश्वविद्यालय सबसे आगे रहा। पहले परास्नातक फिर स्नातक में एनईपी लखनऊ विश्वविद्यालय में लागू हो चुकी है। स्नातक में लागू होने के बाद पहली बार प्रथम सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं एनईपी के तहत परीक्षाएं भी दे रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अब नई शिक्षा नीति के अनुरूप एक वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम बनाने की कवायद शुरू कर दी है । कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने इसका प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए हैं। जिसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है जिसके सदस्यों में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो पूनम टंडन, डीन कला संकाय- प्रो प्रेम लता सुमन, डीन अकादमिक- प्रो राकेश चंद्रा, डीन शोध- प्रो राजीव पांडे, प्रो पीयूष भार्गव तथा प्रो रचना मज्जू, शामिल हैं।
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि स्नातक स्तर पर भी नयी शिक्षा नीति के अनुरूप चार वर्षीय पाठ्यक्रम तैयार कर सत्र 2021-22 से ही लागू किया जा चुका है । यह पाठ्यक्रम छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। जिसमे पढ़ाई के साथ ही साथ कौशल विकास पर भी जोर दिया गया है । इसके तहत छात्र इंटर्नशिप तथा रिसर्च प्रोजेक्ट का भी लाभ उठा सकेंगे । पाठ्यक्रम में फ्लेक्सिबल एंट्री – एग्जिट का मौका भी दिया गया है। जिससे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा ना कर पाने वाले छात्रों को भी सर्टिफिकेट- डिप्लोमा आदि मिल सकेगा । जो छात्र चार वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर तीन वर्ष उपरांत निकलना चाहेंगे उन्हे यूजी डिग्री मिलेगी तथा चार वर्ष का कोर्स पूरा करने पर यूजी विद रिसर्च (स्नातक शोध के साथ) की डिग्री दी जाएगी ।
यूजी विद रिसर्च पूरा करने वाले छात्र केवल एक साल में ही परास्नातक पाठ्यक्रम पूर्ण कर सकते हैं ।