लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को तमाम योजनाओं तथा विधा में देश में शीर्ष पर लाने वाले योगी आदित्यनाथ दूसरे कार्यकाल में प्रदेश को साक्षरता में भी अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के प्रयास में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के उस जिले के स्कूल चलो अभियान शुरू किया है, जो कि साक्षरता में प्रदेश में सबसे पिछड़ा है। श्रावस्ती के साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ अन्य पिछड़े जिलों को भी मुख्यधारा में लाने के प्रयास में हैं, जिससे साक्षरता में उत्तर प्रदेश का ग्राफ भी आगे बढ़ेगा।
स्कूल चलो अभियान उत्तर प्रदेश सरकार का बच्चों को प्रेरित करने वाला बड़ा कार्यक्रम है। इसके तहत प्राइमरी तथा बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी तथा कर्मी नया शैक्षिक सत्र प्रारंभ होते ही गांव-गांव जाकर बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को शिक्षा का महत्व बताने के साथ स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं। प्राइमरी तथा बेसिक स्कूल के शिक्षक रैली निकालने के साथ गांव के हर घर तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर निकलते हैं। अभियान में शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने और स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे। इस अभियान में सबसे ज्यादा एडमिशन करवाने वाले प्रिंसिपल को भी सम्मानित किया जाएगा।
बच्चों के घर में बैठने से कोई लाभ नहीं
इस अभियान के तहत ग्रामीणों को बताया जाता है कि सरकार मुफ्तमें शिक्षा देने के साथ ही दो जोड़ी स्कूल यूनिफार्म, स्वेटर तथा जूता-मोजा देती है। इनको मिड डे मील के बारे में भी बताया जाता है। इनको जानकारी दी जाती है कि बच्चों के घर में बैठने से कोई लाभ नहीं है, बल्कि बच्चों के पढऩे-लिखने में बहुत लाभ हैं।
2022-23 में सौ प्रतिशत एडमिशन का लक्ष्य
योगी आदित्यनाथ सरकार का नए शैक्षिक सत्र 2022-23 में सौ प्रतिशत एडमिशन का लक्ष्य है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों में दो करोड़ बच्चों का नामांकन कराने के लिए स्कूल चलो अभियान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साक्षरता में सबसे पीछे और आकांक्षी जिलों में शामिल श्रावस्ती से स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ किया है।
घर-घर जाकर सर्वे करेंगे शिक्षक
इस अभियान के दौरान शिक्षक घर-घर जाकर सर्वे करेंगे और पढ़ाई से छूटे हुए बच्चों के अभिभावकों को बच्चों का स्कूल में नामांकन कराने के लिए प्रेरित करेंगे। इतना ही नहीं हर जिले और विकास खंड स्तर पर जनप्रतिनिधियों को बुलाकर अभियान शुरू कराया गया है। इनसे कम से कम एक-एक स्कूल को गोद लेने का लक्ष्य दिया गया है। सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित करने का भी अभियान प्रारंभ कर दिया है।