प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभिन्न सरकारी विभागों में सेवा प्रदाता एजेंसी के मार्फत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन, अवकाश, छुट्टी, काम की अवधि, मानव शक्ति सेवा लेने के मॉडल सेवा शर्तें आदि राज्य सरकार द्वारा तैयार कर पेश की गई नीति को पर्याप्त नहीं माना और कहा कि कई बिंदू छूट गए हैं। 22 फरवरी 22 को जारी आदेश के पालन में बनी नीति की खामियों को दुरुस्त करने के लिए अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट से तीन हफ्ते का समय मांगा जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव को शासनादेश व नीति के साथ 29 अप्रैल को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के वेतन सेवा शर्तों में एकरूपता की नीति तैयार कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। मुख्य सचिव की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया किन्तु कोर्ट के निर्देश के कुछ बिन्दू छूट गये। याचिका में सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा दी जा रही मानव शक्ति सेवा के श्रमिकों को मिलने वाले मानदेय में भारी अंतर होने व काम की निश्चित अवधि व अवकाश आदि सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को एकरूपता कायम करने वाली नीति तैयार करते समय सुप्रीम कोर्ट के गुजरात मजदूर सभा केस के दिशानिर्देशों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।