लखनऊ। इसे संवेदनहीनता की पराकाष्ठा कहें तो गलत नहीं होगा। एक शिक्षक जो दो साल पहले बीएसए ऑफिस गया और वहां से लापता हो गया। शिक्षक की पत्नी उसे खोजने के लिए दर-दर भटकी लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। विभाग ने अपने शिक्षक की खोज में रुचि लेना तो दूर पत्नी के आरटीआई से पूछे सवालों के जवाब देना भी मुनासिव नहीं समझा। वहीं, पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर अपना फर्ज पूरा कर लिया सब जगह से निराश पीड़िता ने जब राज्य सूचना आयोग में गुहार लगाई, तब न्याय की आस जगी है। कुशीनगर के इस मामले में आयोग ने पुलिस व बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की तलब किया है। आयोग में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
यह प्रकरण प्राथमिक विद्यालय जंगल लुहठा, कोइरी टोला, दुदही, पडरौना, कुशीनगर में तैनात रहे सहायक अध्यापक जितेंद्र सिंह का है। वह 10 फरवरी 2020 की कुशीनगर स्थित बीएसए दफ्तर किसी काम से गए थे। इसके बाद से वह घर नहीं लौटे। पुलिस में गुमशुदगी दर्ज होने के बाद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मूल रूप से आजमगढ़ के रहने वाले जितेंद्र की पत्नी पूनम सिंह ने बीएसए कार्यालय से इस संबंध में छह बिंदुओं पर आरटीआई से सूचना मागी, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।
थक हारकर पूनम ने राज्य सूचना आयोग में अपील को आयोग ने बीएसए व अन्य को तलब किया, लेकिन बीएसए पेश नहीं हुए। इस पर आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बोली 7 अप्रैल को बीएसए थानेदार, खंड शिक्षा अधिकारी, उप निरीक्षक व अन्य को तलब किया था।