मजे की बात है कि बीएड डिग्रीधारी शिक्षक स्वयं प्रशिक्षण को लेकर चिंतित हैं। इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका भी की है। हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल के अपने आदेश में साफ किया है कि सरकार यदि समय रहते प्रशिक्षण नहीं कराती और कोई विषम परिस्थिति पैदा होती है तो उसके लिए बीएड डिग्रीधारी शिक्षक जिम्मेदार नहीं होंगे। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को छह महीने का ब्रिज कोर्स कराने संबंधी प्रस्ताव पिछले महीने 25 अप्रैल को शासन को भेजा है।
● 69000 भर्ती में बीएड चयनितों को दिया जाना था प्रशिक्षण
● इसी शर्त पर बीएड डिग्रीधारी प्राइमरी स्कूलों में हुए थे नियुक्त
● राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने जारी की थी गाइडलाइन
● छह महीने का ब्रिज कोर्स नियुक्ति के दो साल में होना था पूरा
● अक्टूबर 2020 में नियुक्ति के बाद अब तक नहीं हुआ प्रशिक्षण
प्रयागराज। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 भर्ती में चयनित हजारों बीएड डिग्रीधारी शिक्षक खुद पढ़े बगैर छोटे बच्चों को पढ़ा रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के आधार पर 69000 भर्ती में इसी शर्त पर बीएड डिग्रीधारियों को शामिल किया गया था कि चयन के बाद दो साल के अंदर बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को छह महीने का एलीमेंटरी एजुकेशन पर आधारित अनिवार्य प्रशिक्षण कराया जाएगा।
छह महीने के ब्रिज कोर्स के तहत बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को छोटे बच्चों को पढ़ाने का तौर-तरीका सिखाया जाना था। क्योंकि बीएड और डीएलएड (बीटीसी) का पाठ्यक्रम अलग होता है। बीएड में छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई खास प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। लेकिन अक्टूबर 2020 में चयन हुए डेढ़ साल से अधिक का समय बीत चुका है और प्रशिक्षण को लेकर कोई चर्चा नहीं है।
72825 में भी कराया गया था छह महीने का प्रशिक्षण: 69000 शिक्षक भर्ती से पहले नवंबर 2011 में आई 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में भी बीएड डिग्रीधारियों को मौका मिला था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरी हुई भर्ती में चयनित बीएड डिग्रीधारियों को भी छह महीने का ब्रिज कोर्स कराया गया था। उसके बाद से बीएड को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बाहर कर दिया गया था। 2018 में एनसीटीई ने फिर से बीएड को प्राइमरी शिक्षक भर्ती में मान्य कर लिया