प्रयागराज, । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिलाई, कढ़ाई, बुनाई प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र प्रयागराज की प्रधानाचार्य को अनुदेशक पद पर पदावनति देकर मनमानी जांच रिपोर्ट पर प्रबंध समिति द्वारा की गई बर्खास्तगी को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है। साथ ही याची को अनुदेशक पद पर बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रधानाचार्य पद से पदावनति के खिलाफ याचिका लंबित है। इसलिए याची को बर्खास्तगी के समय के पद पर तत्काल बहाल किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने पुष्पा श्रीवास्तव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
मामले के अनुसार याची की नियुक्ति नेहरु बाल मंडल पंजीकृत सोसायटी के संस्थान में 30 जून 1997 को अनुदेशक के रूप में परिवीक्षा पर की गई थी। एक जुलाई 1997 को ऊषा मिश्रा के इस्तीफे पर याची को ज्वाइन कराया गया। संस्था उस समय ग्रांट पर नहीं थी। याची 26 सितंबर 2013 को वरिष्ठ अनुदेशक पद पर प्रोन्नत किया गया। प्रधानाचार्य चंचल शर्मा बर्खास्त कर दी गई तो याची को प्रधानाचार्य पद का प्रभार सौंपा गया। 29 दिसंबर 2017 को सात पदों के साथ केंद्र को वित्तीय सहायता दी गई।
लिपिक अनीता मिश्रा के इस्तीफे पर पद विज्ञापित किया गया और कमेटी ने नीलम सिंह की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा। कमेटी में शामिल याची ने अनियमितता की आपत्ति की। वह प्रबंध समिति के एक सदस्य की रिश्तेदार हैं। इससे प्रबंध समिति नाराज हो गई। एक अज्ञात व्यक्ति की शिकायत पर जांच कमेटी गठित हुई। याची निलंबित कर दी गई। कमेटी ने याची की मूल नियुक्ति को फर्जी करार दिया। तत्कालीन प्रबंधक केडी मिश्र के फर्जी हस्ताक्षर सहित 23 आरोप लगाये। बिना कारण बताओ नोटिस दिए एक पक्षीय रिपोर्ट पर पदावनति के बाद बर्खास्त कर दिया गया। जिसे चुनौती दी गई थी।