बेसिक शिक्षा विभाग में छह साल पहले नौकरी पाने वाली नौ शिक्षिकाओं के टीईटी प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। अब विभाग इन्हें बर्खास्त करने के साथ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में है। दरअसल, नियुक्ति के समय ऑनलाइन जांच में ही इन शिक्षिकाओं का फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया था, लेकिन बीएसए कार्यालय के बाबुओं ने मामला दबा दिया। छह साल तक बीएसए कार्यालय के बाबुओं की मिलीभगत से इन्हें वेतन का भुगतान किया जाता रहा। अब परीक्षा नियामक प्राधिकरण से जांच कराने के बाद इनके प्रमाणपत्र फर्जी होने की पुष्टि हुई है।
वर्ष 2016-17 में 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में नौ शिक्षिकाओं के अभिलेख फर्जी मिले हैं। इन शिक्षिकाओं ने टीईटी के जो प्रमाणपत्र जमा किए हैं, वे सत्यापन में फर्जी निकल गए हैं। तैनाती पाने के बाद विभाग के आनलाइन सत्यापन में अंकपत्र फर्जी मिलने के बाद भी बाबुओं की मिलीभगत से मामले को दबाकर वेतन भुगतान किया जाता रहा। विभाग ने जब शिक्षिकाओं को नोटिस जारी किया, तो उन्होंने अंक पत्र सही होने का दावा करते हुए ऑफलाइन सत्यापन कराने के लिए कहा।
फिर क्या था, विभाग के बाबुओं ने फाइल दबाकर रख ली और छह साल जांच नहीं हुई। नवागत बीएसए भूपेंद्र कुमार ने मामला संज्ञान में आने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी को परीक्षा नियामक प्राधिकरण भेजकर जांच कराई। इसके बाद शिक्षिकाओं के टीईटी के प्रमाण पत्र फर्जी होने की पुष्टि हो गई। आश्चर्य की बात यह है कि ऑफलाइन सत्यापन में अंकपत्र फर्जी मिलने के बाद भी कर्मचारी विभागीय अफसरों को गुमराह कर रहे हैं। इससे बीएसए इन फर्जी शिक्षिकाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे हैं।
इन शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्र मिले फर्जी
जिन शिक्षिकाओं के अभिलेख फर्जी मिले हैं, उनमें मीरा देवी, सीमा देवी, कंचन, निधि सिंह, संगीता देवी, सीमा कोरी, बिंदू देवी, सुमित्रा मौर्या, रुचि प्रजापति के नाम शामिल हैं।
नौ शिक्षिकाओं के टीईटी प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। ऑफलाइन सत्यापन में इसकी जानकारी हुई है। शिक्षिकाओं पर मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई प्रस्तावित है। –
भूपेंद्र सिंह, बीएसए