प्रदेश में चार साल बाद डीएम सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी
दुर्गा शंकर मिश्र, मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को समीक्षा करने के दिए निर्देश
क्या है डीएम सर्किल रेट
● डीएम जिले स्तर पर इस रेट को तय करता है। आबादी और सुविधाओं के आधार पर तहसीलवार इसकी दरें तय की जाती हैं। इन दरों के आधार पर ही भवन व भूखंडों की रजिस्ट्री के लिए स्टांप शुल्क लगता है।
● वित्तीय वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में डीएम सर्किल रेट नहीं बढ़ा। वर्ष 2019 में कोविडकाल के चलते किसी भी तरह की दरें नहीं बढ़ाई गईं, जिससे आम जनता के ऊपर कोई बोझ पड़े।
● डीएम सर्किल रेट बढ़ने के बाद राज्य सरकार की आय में वृद्धि होगी। यूपी के लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए सरकार राजस्व बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में डीएम सर्किल रेट भी है।
लखनऊ, विशेष संवाददाता। यूपी में चार साल बाद एक बार फिर डीएम सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इसकी समीक्षा करें और देखें कि कितना सर्किल रेट बढ़ाया जा सकता है। जहां जरूरी हो वहां बढ़ाया जाएगा और जहां जरूरी न हो वहां इसे नहीं बढ़ाया जाए।
मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि पिछले चार सालों से इसमें किसी तरह की कोई वृद्धि नहीं की गई है। इसलिए इस पर देखा जाए कि क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाना है। इस पर भी काम शुरू किया जाए। कैबिनेट ने ईको-पर्यटन विकास बोर्ड का गठन और विनियम को मंजूरी दी है। बोर्ड द्वारा वन क्षेत्र में बफर जोन के बाहर पर्यटकों के लिए तमाम सुविधाएं विकसित की जाएंगी, ताकि प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सके। सभी जिलों में फुटफाल को बढ़ाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
उन्होंने कहा कि सभी सरकारी दफ्तरों, स्कूल और कॉलेज में सुरक्षा डोज लगाने के अभियान में तेजी लाई जाए। इस दौरान सहारनपुर के मंडलायुक्त ने एटीएफ (एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी) सेंटर के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यमुना नदी के किनारे के गांव स्मैक प्रभावित हैं, जहां किशोर और नौजवान स्मैक से नशे की गिरफ्त में हैं। इसीलिए एटीएफ सेंटर स्थापित किया गया है। इसमें एक डॉक्टर, एक डाटा मैनेजर, एक काउंसलर और एक उपचारिका रखी गई। इसमें नशे की गिरफ्त में आए लोगों का गुणवत्तापूर्ण उपचार किया जा रहा है। अब तक 28 लोग पूरी तरह से स्वास्थ हो चुके हैं।