बैंक जमा पर मिले ब्याज, वेतन और किराया आदि पर अगर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) कटता है तो इसे वापस लेने या रिफंड कराने के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरना पड़ता है। आयकर नियमों के तहत अगर रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित तारीख समाप्त हो गई है तो आयकरदाता टीडीएस रिफंड का दावा भी नहीं कर सकते हैं। हालांकि, इसके कुछ अपवाद भी हैं। इसके तहत अगर आप किसी वजह से आईटीआर दाखिल करने से चूक गए हैं तो भी टीडीएस रिफंड का दावा कर सकते हैं। दरअसल, आयकर कानून के तहत टीडीएस रिफंड, छूट, कटौती या किसी अन्य राहत का दावा करने के लिए
धारा-119(2)(बी) के तहत एक स्मॉल विंडो मिलती है। इसमें आयकर अधिकारियों को आईटीआर दाखिल करने की समय-सीमा समाप्त होने के बाद भी ऐसे किसी दावे की अनुमति देने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, इस तरह के दावे बहुत ही कम संख्या में स्वीकार किए जाते हैं। इसकी अनुमति तभी मिलती है, जब आयकरदाता को वास्तव में कोई दिक्क्त हो और वह आयकर रिटर्न दाखिल करने से चूक गया हो।
इन तरीकों से कर सकते हैं दावा
करदाता को संबंधित आयकर अधिकारी के नाम एक आवेदन लिखना होगा। इसमें आईटीआर नहीं भरने के हालातों की पूरी जानकारी और सबूत देना होगा।
और जानकारी के लिए विभाग नोटिस जारी कर सकता है। इसका विवरण ‘लंबित कार्रवाई’ टैब के तहत दर्ज होगा।
आवेदन मंजूर होने पर धारा 119(2) के तहत ई-फाइलिंग टैब में ऑनलाइन आईटीआर भरना होगा।
आवेदन खारिज तो हाईकोर्ट की शरण में जा सकते हैं।
इसी तरह, ई-फाइलिंग पोर्टल पर ‘कॉन्डोनेशन रिक्वेस्ट’ टैब के अंतर्गत रिफंड भरने की सुविधा मिलती है।
‘कॉन्डोनेशन रिक्वेस्ट’ टैब में जाकर ‘अलाऊ आईटीआर फाइलिंग आफ्टर टाइम बार्ड’ विकल्प को चुनकर आईटीआर दाखिल करनी होगी।
राशि के हिसाब से मंजूरी का प्रावधान
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से जारी सर्कुलर संख्या 9/2015 में धारा 119 की शक्तियों को ध्यान में रखते हुए रिफंड के दावे पर विचार करने को विभिन्न प्राधिकरणों के लिए दिशा-निर्देश और सीमा निर्धारित की गई है।
सर्कुलर के मुताबिक, किसी आकलन वर्ष में अगर टीडीएस रिफंड के दावे की राशि 10 लाख रुपये तक है तो प्रिंसिपल कमिश्नर या इनकम टैक्स कमिश्नर इस पर विचार कर सकता है या खारिज कर सकता है।
यह रकम अगर 10 लाख से 50 लाख रुपये के बीच है तो इसे निपटाने का अधिकार प्रिंसपल चीफ कमिश्नर के पास होता है।
दावे की रकम 50 लाख रुपये से ज्यादा होने पर सिर्फ सीबीडीटी को ही इसे अपने स्तर पर निपटाने का अधिकार है।
मिलता है छह साल तक का समय
अगर किसी भी व्यक्ति, कंपनी, ट्रस्ट या हिंदू अविभाजित परिवार को पैन जारी हुआ है और वह सभी शर्तों को पूरा करता हो तो टीडीएस रिफंड का दावा कर सकता है। क्लेम के लिए करदाता को छह साल तक का समय मिलता है। इसके तहत वह आकलन वर्ष से छह साल तक की अवधि में क्लेम दाखिल कर सकता है। -स्वीटी मनोज जैन, टैक्स-निवेश सलाहकार