कोर्ट के आदेश के बावजूद भत्ते का पता नहीं
प्रयागराज, कोर्ट के आदेश के बावजूद विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के तकरीबन 500 बेरोजगारों को दो-दो लाख रुपये से अधिक स्टाइपेंड (भत्ता) का भुगतान नहीं हो सका है। एक दशक से अधिक समय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे इन बेरोजगारों ने अब फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मानदेय भुगतान के लिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका की है।
विशिष्ट बीटीसी 2004 में प्रशिक्षण लेने वाले उन अभ्यर्थियों को सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए अमान्य कर दिया था जिन्होंने दूरस्थ माध्यम से बीएड किया था। इसके खिलाफ दूरस्थ विधि से बीएड करने वालों ने याचिका की जिस पर हाईकोर्ट ने 26 अक्टूबर 2007 को उन्हें नियुक्ति के लिए अर्ह माना।
इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की जो 26 अप्रैल 2013 को खारिज कर दी। इसके बाद इन अभ्यर्थियों ने विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण किया जो कि सितंबर 2014 में पूरा हुआ। विशिष्ट बीटीसी के शासनादेश के अनुसार प्रशिक्षण पूरा होने के बाद से नियुक्ति होने तक अभ्यर्थियों को 2500 रुपये प्रतिमाह भत्ता दिया जाएगा।
भत्ता देने की मांग को लेकर इन बेरोजगारों ने फिर याचिका की जिस पर हाईकोर्ट ने 18 फरवरी 2020 को राज्य सरकार को भत्ता देने का आदेश दिया था। सितंबर 2014 से अब तक तकरीबन आठ साल का भत्ता जोड़ें तो प्रत्येक बेरोजगार का दो-दो लाख से अधिक बकाया बनता है। इसके खिलाफ सरकार ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की थी जो कि 11 जुलाई को खारिज हो गई। इसके बावजूद भुगतान नहीं हो सका। कानपुर की वंदना सिंह ने भुगतान के लिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका की है। इसकी सुनवाई 26 अगस्त को होनी थी लेकिन अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण टल गई।