देवरिया, । विद्यालयों में छात्रों को मध्याह्न भोजन में गुणवत्तापूर्ण भोजन कराने व दूध तथा फल का इंतजाम करने में गुरुजी का पसीना छूट जा रहा है। मध्याह्न भोजन पर महंगाई की मार है। व्यवस्था चलाने के लिए शिक्षक को अपनी खुद की जेबें ढीली करनी पड़ रही है। इंतजाम में कमी मिलने पर कार्रवाई भी झेलनी पड़ रही है।
मध्यान भोजन के जुगाड़ में बीतता है पूरा दिन
सरकारी विद्यालयों में छात्रों को मध्याह्न भोजन कराया जाता है। इसके लिए पूरे छह दिन का बकायदा मीनू तैयार है। चावल व गेहूं कोटेदार आपूर्ति करते हैं तो अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी गुरुजी को उठानी पड़ती है। मध्याह्न भोजन बनवाने को लेकर गुरुजी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इतने पैसे में कैसे करें इंतजाम
आज दस रुपये का चाय मिल रही है। लेकिन मध्याह्न भोजन के कन्वर्जन कास्ट के रूप में प्राथमिक में 4 रुपये 97 पैसे तो जूनियर में 7 रुपये 45 पैसे मिलता है। इसमें मीनू के अनुरुप दाल, सब्जी व अन्य व्यवस्थाएं भी देनी है। जबकि बुधवार को जूनियर में 200 मिली दूध व मीनू के अनुरूप भोजन तथा प्राइमरी में 150 मिली दूध तथा मीनू के अनुरुप भोजन दिया जाना है। आज दूध की महंगाई इतनी है कि 200 मिली दूध उपलब्ध कराने के लिए दस रुपये कम से कम लगेंगे। जबकि 7 रुपये 45 पैसे में दूध, दाल, सब्जी तक उपलब्ध कराना है। इसके अलावा रसोई गैस सिलेंडर का भी इंतजाम इस पैसे में से ही कराना है। ऐसे में कैसे गुरुजी व्यवस्था करा रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल है।
चार रुपये सोमवार को अलग से मिलते हैं
मध्याह्न भोजन में मीनू निर्धारित है। जिले में कुल तीन लाख 21 हजार छात्रों को मध्याह्न भोजन का लाभ मिलता है। बुधवार को जहां दूध निर्धारित हैं, वहीं सोमवार को मौसमी फल उपलब्ध कराना है। उस दिन एक बच्चे पर चार रुपये अधिक फल के रुपये दिए जाते हैं। फल भी उपलब्ध कराना गुरुजी के लिए कम परेशानी का सबब नहीं है।
यह निर्धारित है मीनू
सोमवार को रोटी, सब्जी, जिसमें सोयाबीन या दाल की बडी का प्रयोग एवं ताजा मौसमी फल, मंगलवार को चावल व दाल, बुधवार को तहरी एवं उबला हुआ दूध, गुरुवार को रोटी व दाल, शुक्रवार को तहरी, जिसमें चावल एवं सब्जी का प्रयोग, शनिवार को चावल व सोयाबीन युक्त सब्जी।
सभी शिक्षकों को गुणवत्ता के साथ मध्याह्न भोजन बच्चों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। सभी जगहों पर मीनू के अनुरूप भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। – हरिश्चंद्र नाथ, बीएसए।