इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में प्रोन्नति के पदों को सीधी भर्ती द्वारा भरने के खिलाफ दाखिल याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि इस दौरान सरकार कोई भर्ती करती है तो वह इस याचिका के निर्णय के अधीन होगा।
मोहनलाल व 29 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने सुनवाई की। याचिका में प्रोसीजर ऑफ डिपार्टमेंटल एग्जामिनेशन फॉर क्लास फोर एम्पलाइज आफ उत्तर प्रदेश मिनिस्टीरियल, अकाउंट्स एंड कॉन्फिडेंशियल असिस्टेंट कैडर सर्विसेज रूल्स 2015 के प्रावधानों को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। यह भी मांग की गई है कि याची गण को क्लर्क के पद पर प्रोन्नति दी जाए।
याचिका का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि क्योंकि इस याचिका में एक्ट के वायरस को चैलेंज किया गया है इसलिए एकल न्याय पीठ द्वारा इसे नहीं सुना जाना चाहिए। यह भी कहा गया कि याची गण इसे चुनौती इसलिए भी नहीं दे सकते हैं क्योंकि इनमें से कुछ विभागीय परीक्षा में बैठे ही नहीं और कुछ जो बैठे थे वह परीक्षा में असफल रहे हैं।
याची गण के अधिवक्ता का कहना था कि कुल 164 रिक्तियों को प्रोन्नति से भरने के लिए चयनित किया गया था। मगर विभागीय परीक्षा में सिर्फ 15 लोगों को पास किया गया। बची हुई रिक्तियों को सीधी भर्ती से भरने की तैयारी है। यदि ऐसा किया जाता है तो याची गण का अधिकार प्रभावित होगा। कोर्ट ने प्रकरण को विचारणीय मानते हुए प्रदेश सरकार के अधिवक्ता को 4 सप्ताह में इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ. ही याची गण को प्रतिपूरक शपथ पत्र दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि कितने लोग विभागीय परीक्षा में बैठे थे और कितने लोग नहीं बैठे थे। इनमें में से कितने लोग विभागीय परीक्षा में असफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान यदि रिक्तियों के सापेक्ष कोई नियुक्ति की जाती है तो वह इस याचिका के निर्णय के अधीन होगी।