सामान्य श्रेणी की सीटों में सेंध क्यों सुप्रीम कोर्ट
कक्षाओं में हिजाब मौलिक अधिकार नहीं कर्नाटक
नई दिल्ली। हिजाब मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ से कहा कि कक्षा में हिजाब पहनना मौलिक अधिकार नहीं है। स्कूल के बाहर, स्कूल बस और स्कूल परिसर में हिजाब पहनने पर रोक नहीं है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नौवें दिन भी सुनवाई जारी रही। कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने सरकार का पक्ष रखा। कहा कि जहां तक अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का संबंध है, तो यह एक विकासशील न्यायशास्त्रत्त् है।
गरीबी ही आरक्षण का आधार
● केंद्र ने दलील दी कि सरकार का प्रयास है कि जाति और वर्ग विहीन समाज बनाया जाए। आरक्षण का सिर्फ एक ही आधार हो- गरीबी।
● सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण का आधार जाति नहीं, बल्कि आर्थिक होना चाहिए। सरकार का प्रयास इसी ओर है।
● आज यह10 फीसदी दिया गया है। जब उनका स्तर ऊपर उठ जाएगा तो यह 5 हो सकता है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 10 फीसदी आरक्षण से किसी का भी नुकसान नहीं हो रहा। यह जाति और वर्ग से भी ऊपर है। इसका लाभ कोई भी ले सकता है। -केंद्र सरकार
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 आरक्षण देने
के लिए संविधान संशोधन के खिलाफ याचिकाओं पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रही। इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि सामान्य वर्ग की 50 सीटों में से 10 ईडब्ल्यूएस को देकर और कैसे घटा सकते हैं।
सरकार से सवाल मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जरनल केके वेणुगोपाल से कई सवाल किए। पीठ ने कहा कि याचिकाओं के मुताबिक, क्रीमीलेयर के चलते सामान्य में आए ओबीसी वर्ग शिकायत कर रहे हैं कि उनका हिस्सा और घटा दिया गया है। वहीं, सामान्य वर्ग ने कहा- इस आरक्षण से उनका भी क्षेत्र भी संकुचित हो गया।
तय आरक्षण का उल्लंघन कोर्ट ने यह सवाल तब पूछे जब याचियों ने कहा, ईडब्ल्यूएस को 10 आरक्षण इंदिरा साहनी केस में तय आरक्षण की 50 की सीमा का उल्लंघन है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने संविधान का बुनियादी ढांचा बना दिया था। केंद्र इस सीमा को नहीं लांघ संकता।
केंद्र की दलील केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल ने दलील कि यह 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन नहीं है। संविधान संशोधन को तभी चुनौती दी जा सकती है जब यह उसके मूल संरचना का उल्लंघन करे। ईडब्ल्यूएस कोटा एससी/एसटी और ओबीसी को मिले आरक्षण को बाधित नहीं करता। इन सभी वर्गों को बहुत लाभ दिया गया है लेकिन गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले करीब 18 फीसदी सामान्य वर्ग की कोई सुध लेने वाला नहीं है। यह आरक्षण उन्हीं लोगों के लिए है, क्योंकि अनुच्छेद 15(4 और 5) में उन्हें राहत नहीं है। इसलिए 103वां संशोधन करके उप अनुच्छेद-6 लाया गया ताकि गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों को इसका लाभ मिल सके।