प्रयागराज, शिक्षामित्र से शिक्षक बने अध्यापकों ने पुरानी पेंशन के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने कहा कि बिना सरकार का पक्ष सुने आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता पीके ओझा ने बहस की।
2005 से पूर्व नियुक्ति वाले शिक्षामित्र से शिक्षक बनने वाले लोग पहुंचे हाई कोर्ट : उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2000 में शिक्षामित्र योजना शुरू की थी। योजना के तहत विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में करीब पौने दो लाख युवाओं की तैनाती की गई। इनमें से हजारों शिक्षामित्र विभिन्न भर्तियों के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बन गए। जो शिक्षामित्र अप्रैल 2005 से पहले नियुक्त हुए और वर्तमान में शिक्षक हैं, उन्होंने पुरानी पेंशन का दावा करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
क्या है मांग : गुरुचरण, ललितमोहन सिंह सहित आठ लोगों ने याचिका दाखिल कर शिक्षामित्र अवधि को शामिल मानकर पुरानी पेंशन दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि जिन शिक्षामित्रों की नियुक्ति 2005 से पहले हुई है और अब वह अध्यापक बन गए हैं, उन्हें पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए।
क्या है तर्क : एक अप्रैल 2005 से पहले तदर्थ नियुक्त सेवाकर्मियों की सेवा पुरानी पेंशन के लिए जोड़ने का आदेश कई न्यायालयों द्वारा पारित किया जा चुका है। स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी व अन्य केस में उच्च न्यायालय ने तदर्थ व संविदा कर्मियों को एक समान नियुक्ति माना है। राय सिंह बनाम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के केस में संविदा पर नियुक्ति तिथि को पुरानी पेंशन के लिए सही मानते हुए, पेंशन देने का आदेश पारित हुआ है। इसी आधार पर शिक्षामित्र, जिनकी नियुक्ति एक अप्रैल 2005 से पहले हुई है और वर्तमान में शिक्षक हैं, ने पुरानी पेंशन के लिए न्यायालय में याचिका दाखिल की है।