केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विशेष शिक्षक बनने के लिए बीएड (स्पेशल एजूकेशन) की डिग्री अनिवार्य नहीं है। न्यायाधिकरण ने कहा है कि समान्य बीएड के साथ-साथ स्पेशल एजूकेशन में दो साल का डिप्लोमा या फिर पीजी प्रोफेशनल डिप्लोमा धारक भी विशेष शिक्षक बनने के लिए योग्य हैं। न्यायाधिकरण के इस फैसले से न सिर्फ दिल्ली बल्कि अन्य राज्यों में भी योग्य विशेष शिक्षकों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी क्योंकि स्पेशल एजूकेशन में बीएड डिग्री धारक योग्य प्रतिभागियों की कमी की वजह से भर्ती अधूरी रह जाती है।
न्यायाधिकरण के सदस्य आर.एन. सिंह और तरूण श्रीधर की पीठ ने हाल ही में विशेष शिक्षक नियुक्त करने की मांग को लेकर दाखिल एक दृष्टिहीन युवक की याचिका पर यह फैसला पारित किया है। पीठ ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के उस आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला दिया है, जिसमें बीएड (स्पेशल एजूकेशन) की डिग्री नहीं होने के चलते एक प्रतिभागी को विशेष शिक्षक की नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि तय नियमों के अनुसार विशेष शिक्षक बनने के लिए बीएड (स्पेशल एजूकेशन), सामान्य बीएड के साथ दो साल पा डिप्लोमा, और स्पेशल एजूकेशन में पीजी प्रोफेशनल डिप्लोमा में डिग्री या फिर भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य डिग्री भी मान्य है। यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा है कि जहां तक मौजूदा मामले का सवाल है तो इसमें याचिकाकर्ता के पास सामान्य शिक्षा में बीएड की के साथ-साथ स्पेशल एजूकेशन में पीजी प्रोफेशनल डिप्लोमा का डिग्री भी है। न्यायाधिकरण ने कहा है कि ऐसे में, याचिकाकर्ता विशेष शिक्षक बनने के लिए योग्य है। पीठ ने चंद्रकांत ठाकुर की ओर से अधिवक्ता अनुज अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर दिया है। अग्रवाल ने याचिका में डीएसएसएसबी द्वारा 28 फरवरी, 2019 को जारी उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें बीएड (स्पेशल एजूकेशन) की डिग्री नहीं होने के चलते भर्ती परीक्षा के लिए उम्मीदवारी को रद्द कर दिया था।
भर्ती परीक्षा पास किया है तो विशेष शिक्षक नियुक्त करें
न्यायाधिकरण ने याचिकाकर्ता ठाकुर की उम्मीदवारी रद्द करने के डीएसएसएसबी के फरवरी, 2019 के आदेश रद्द कर दिया है। साथ, डीएसएसएसबी को आदेश दिया है कि यदि याचिकाकर्ता भर्ती परीक्षा में पास हुआ है तो उसे विशेष शिक्षक नियुक्त किया जाए। इसके लिए पीठ ने डीएसएसएसबी को 8 सप्ताह का वक्त दिया है।
यह है मामला
डीएसएसएसबी ने दिसंबर, 2017 में, दिल्ली सरकार द्वारा संचालिक स्कूलों में मूक, बधिर, दृष्टिहीन और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा मुहैया कराने के लिए विशेष शिक्षक की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस भर्ती परीक्षा में याचिकाकर्ता चंद्रकांत ठाकुर ने भी आवेदन किया था। लेकिन भर्ती परीक्षा में शामिल होने के बाद फरवरी, 2019 में डीएसएसएसबी ने बीएड स्पेशल एजूकेशन की डिग्री नहीं होने के चलते उम्मीदवारी रद्द करते हुए विशेष शिक्षक के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके खिलाफ ठाकुर ने न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल की थी।