रायबरेली प्राइवेट स्कूल अब अपने यहां शिक्षकों का उत्पीड़न नहीं कर सकेंगे। निजी स्कूलों में भी काबिल शिक्षकों को रखना होगा। ऐसा नहीं कि किसी को भी शिक्षक के तौर पर रख लिया और जब मन चाहा निकाल दिया। अगर मनमाने ढंग से नियम विरुद्ध शिक्षकों की नियुक्ति की या फिर उनकी सेवा समाप्त की तो विद्यालय प्रबंधतंत्र के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। निदेशक का पत्र आने के बाद मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी बेसिक शिक्षा विभाग कर रहा है।
जिले में कक्षा एक से आठ तक संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूलों की
संख्या लगभग 750 है। नगरीय क्षेत्र ही नहीं गांव-गांव स्कूल खुले हुए हैं। गली- मोहल्लों तक स्कूल चल रहे हैं, जहां मानक भी पूरे नहीं किए जाते हैं। नन्हे मुन्ने बच्चों का भविष्य संवारने के नाम पर ऐसे शिक्षकों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सीपी जाती है, जो काबिल ही नहीं है जब जरूरत पड़ी, शिक्षक को नियुक्त कर लिया। जब मन चाहा निकाल दिया। नियुक्ति के समय कोई चयन प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है। नियमों की अनदेखी कर सेवा समाप्ति कर दी जाती है। नियम तो काफी पहले से बने हैं, लेकिन इनके अनुपालन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
शिक्षा निदेशक (बेसिक) शुभा सिंह ने अभी हाल ही में प्राइवेट स्कूलों के संबंध में बीएसए को पत्र भेजा है। नियमावली 1975 और नियमावली 1978 का हवाला देते हुए कहा गया है कि मान्यता प्राप्त स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति एवं सेवा के संबंध में कोई कार्यवाही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पूर्वानुमोदन के बिना नहीं की जा सकती है निदेशक ने बीएसए को निर्देश दिए हैं कि नियमावलियों के प्राविधानों के विपरीत अध्यापक को नियुक्ति या सेवा समाप्ति की जाती है तो प्रबंधतंत्र के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए। बॉएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि. निर्देशक के निर्देशों का अनुपालन कराया जाएगा।