आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक के करीबियों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। उनके कार्यकाल में सहयोगी रहे तीन शिक्षकों को एसटीएफ ने कार्यालय बुलाकर करीब साढ़े 5 घंटे तक पूछताछ की। इसमें एसटीएफ ने उनके सामने बिल और रिकॉर्ड रखकर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में उनकी भूमिका पर सवाल पूछे।
प्रो. पाठक की हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद एसटीएफ ने जांच तेज कर दी है। इनके सहयोगी रहे तीन शिक्षकों (प्रोफेसर) को अलग-अलग समय पर बुलाकर पूछताछ की है। एसटीएफ से इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंस के एक शिक्षक ने कहा कि उनकी कोई भूमिका नहीं है, वह सेवाभाव के लिए कार्य करते हैं। इस पर एसटीएफ ने सख्ती से पूछा
कि कोई भूमिका नहीं है तो प्रभारी कुलपति के आगरा में न रहने पर कॉलेज संचालक आपके पास क्यों आते हैं, क्यों कोर्स के स्थायी और केंद्र बनाने में आप उनसे सीधे रूबरू होते थे। इन तीखे सवालों पर वे चुप्पी साध गए। इनसे दी घंटे तक पूछताछ हुई।
इसी विभाग के राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के कार्यों से जुड़े शिक्षक से डेढ़ घंटे तक पूछताछ हुई शिक्षक ने सभी कार्य समिति और विभागाध्यक्षों के निगरानी और हस्ताक्षर होने की बात कही। एसटीएफ ने दर्शाए गए कार्य के फोटो और बिल्ल दिखाते हुए किस मद में कितने खर्च हुए, कहां से खरीद हुई। गुणवत्ता की समय सीमा कब तक थी। सभी बिल और रिकॉर्ड क्यों नहीं दिखा पा रहे आदि सवाल पूछे तो वो भी चुप्पी साध गए आईईटी के एक शिक्षक से भी दो घंटे पूछताछ कर परीक्षा केंद्र बनाने और अन्य मामलों पर पूछताछ की गई। ये भी अपने जवाबों से एसटीएफ को संतुष्ट नहीं कर पाए।