रायबरेली। माध्यमिक शिक्षा विभाग के राजकोष कॉलेजों में अभिभावक यह सोचकर बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं, ताकि उन पर आर्थिक बोझ न पड़े। यहां तो राजकीय कालेजों में बच्चों को पढ़ाना महंगा साबित हो रहा है। शिक्षक हैं नहीं तो बाहरी शिक्षक रखना मजबूरी है। अभिभावकों को बच्चों की फीस के साथ पीटीए टीचर के मानदेय की धनराशि भी जुटानी पड़ती है।
जिले में 41 राजकीय विद्यालय है। दो तिहाई शिक्षकों के पद रिक्त हैं। प्रवक्ता के 234 सुजित पदों में महज 50 कार्यरत है। सहायक अध्यापकों के 399 सृजित पदों में 181 शिक्षक हैं। प्रवक्ता के 184 और सहायक अध्यापक के 218 पद रिक्त हैं विज्ञान, गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के टीचर न होने से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में दिक्कत होती है। विद्यालयों में शिक्षक अभिभावक संघ (पीटीए) गठित है। पीटीए से मानदेय पर शिक्षक रखे जाते है। पांच हजार रुपये मानदेय में जैसे-जैसे शिक्षक भविष्य सुधार रहे हैं।