पटना। अभिभावक के साथ स्कूल जाने वाले बच्चे ज्यादा खुश रहते हैं। उनके अंदर अन्य बच्चों की अपेक्षा आत्मविश्वास भी अधिक होता है। एनसीईआरटी की ओर से नर्सरी से पांचवीं तक के बच्चों पर किए सर्वे में यह बात सामने आई है।
वो बच्चे जिनके अभिभावक उन्हें स्कूल छोड़ते और लाते हैं, उनमें बातें साझा करने की क्षमता भी बढ़ती है। अगस्त से नवंबर तक किए गए इस सर्वे में बिहार के सभी 38 जिलों के 9876 निजी स्कूल शामिल थे। सर्वे में एक लाख से ज्यादा बच्चे: सर्वे बिहार के 1.05 लाख बच्चों के बीच किया गया। अध्ययन में 30 हजार बच्चे ऐसे मिले, जिनके अभिभावक उन्हें बस स्टॉप तक छोड़ते हैं। ऐसे बच्चों में अकेलेपन का बोध रहता है। इनमें बातें साझा करने की प्रवृत्ति भी कम पाई गई। वहीं, 20 हजार बच्चे ऐसे थे जो वैन, ऑटो या नौकर के साथ स्कूल आते- जाते हैं। इन बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा, मारपीट आदि की प्रवृत्ति अधिक दिखी।
सभी स्कूलों को भेजी जाएगी रिपोर्ट : एनसीईआरटी ने प्रश्नावली के जरिए बच्चों के जवाब से यह अध्ययन किया है। सर्वे रिपोर्ट सभी स्कूलों को भेजी जाएगी। स्कूल इसकी जानकारी अभिभावकों से साझा करेंगे।
माता-पिता संग सुरक्षित महसूस करते हैं बच्चे
■ अभिभावक के साथ बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। उनमें गर्व का अहसास होता है
■ माता-पिता के साथ आनेवाले बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित होती है। रास्ते में स्कूल की बातें साझा करते हैं।
■ छुट्टी के समय बच्चे खासकर पिता को देखकर ज्यादा खुश होते हैं।
■ वार्षिकोत्सव में माता-पिता के रहने पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं
■ जिन बच्चों को स्कूल वैन से भेजा जाता है वो दुखी होते और कई बार रोते भी हैं।
■ अन्य से ज्यादा खुश रहते हैं
सर्वे में शामिल बच्चों में 55 हजार बच्चे माता अथवा पिता के साथ स्कूल आते और जाते हैं। इनमें से 90 फीसदी बच्चों में सकारात्मक सोच दिखी। ये स्कूल में अन्य बच्चों से ज्यादा खुश रहते हैं। इनमें पढ़ाई का तनाव देखने को नहीं मिला। ये अपने सहपाठियों के बीच अभिभावकों की बातें करते हैं।
सर्वे का पैमाना
■ स्कूलों को भेजे गए थे सर्वे के लिए 15-15 प्रश्न
■ प्रत्येक जिले में 75 से 100 स्कूलों का हुआ था चयन
■ छोटे बच्चों से मौखिक सवाल कर शिक्षकों ने भरे फॉर्म
■ शिक्षकों की देखरेख में बच्चों से प्रश्नोत्तर भरवाए गए
छोटे बच्चे माता-पिता से ज्यादा जुड़े होते है । है। स्कूल जाना शुरू करते हैं और अभिभावक उन्हें स्कूल की गतिविधियों में सपोर्ट करते हैं तो उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है। सर्वे में यह बात सामने आई है। प्रमोद कुमार, काउंसलर, एनसीईआरटी