नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा कि उचित और निर्धारित योग्यता के बगैर विदेश से एमबीबीएस की डिग्री के आधार पर भारत में इलाज करने की अनुमति दी जा सकती। अदालत ने कहा, जिनके पास भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई)/राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा तय योग्यता नहीं है, उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य में शामिल करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती।
जस्टिस पी.के. कौरव ने यूक्रेन से एमबीबीएस करने वाली छात्रा को भारत में इलाज करने की मंजूरी देने के लिए योग्यता प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश देने से इनकार करते हुए यह फैसला दिया। उन्होंने कहा,मौजूदा मामले में न तो विनियमों को चुनौती दी गई है और न एनएमसी द्वारा आठ सितंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इसके साथ याचिका खारिज कर दी।
एनएमसी ने यह दलील दी
एनएमसी ने पात्रता प्रमाण पत्र जारी न करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, छात्रा ने गुजरात बोर्ड से 12वीं कक्षा में बायोलॉजी की पढ़ाई नहीं की है। उसने बाद में ओपन स्कूल से इसकी पढ़ाई की। यह सही है कि हाईकोर्ट ने 2018 में नेशनल ओपन स्कूल के 12वीं कक्षा के प्रमाणपत्र को नियमित बोर्ड के समान माना। लेकिन अभी तक इस पर विचार नहीं किया गया कि फैसला कब से लागू होगा।