नई दिल्ली: स्कूली बच्चों को दोपहर के खाने के साथ नाश्ता देने की योजना का फिलहाल पूरा रोडमैप तैयार हो गया है। हालांकि यह भी मंजूरी की प्रक्रिया में है ऐसे में यदि से मंजूरी मिलती है तो इस पर हर साल करीब 10000 करोड़ रुपए खर्च होंगे इसके तहत स्कूली बच्चों स्कूल पहुंचते ही पोषक तत्वों से भरपूर कोई तैयार ( रेडी टू ईट ) नाश्ता दिया जाएगा। लेकिन इसमें ब्रांडेड कंपनियों से बनी सामग्री आने पर स्कूल जैसे कोई चीज नहीं होगी इसकी जगह स्वयंसेवी संस्थानों और महिला समूहों से तैयार सामग्री दी जाएगी ।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील योजना के तहत खाने के साथ नाश्ता देने की सुझाव के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय इस योजना में अमल में तेजी से जुटा हुआ है। इसके तहत मंत्रालय फिलहाल जो रोड मैप तैयार किया है उसमें इस योजना को सभी राज्यों मैं लागू किया जाना है। जिस पर साल में करीब ₹100000000 के खर्च का अनुमान लगाया गया है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा शामिल है फिलहाल राज्यों से कई दौर की चर्चा के बाद केंद्र इस पूरी योजना को तेजी से आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो यदि कोई बड़ी बाधा नहीं आई तो इसे मंजूरी के लिए जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। वही आने वाले बजट में भी इसके एलान की पूरी संभावना है। बच्चों को नाश्ता मुहैया कराने की योजना को एक साथ पूरे देश भर में लागू करने के बजाय स पहले देश के उन जिलों में शुरू करने की तैयारी है जहां कुपोषण की समस्या ज्यादा है।