इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती की आंसर की को लेकर दाखिल सैकड़ों याचिकाएं खारिज कर दी हैं। याचिकाओं में आंसर की में दिए गए सवालों के उत्तरों पर आपत्तियां की गई थी। कोर्ट ने कहा है कि यह अवधारणा है की उत्तर कुंजी सही है। यदि कोई उसे गलत साबित करना चाहता है तो वह अधिकृत दस्तावेजों के साथ गलत साबित करे ।
न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने रोहित शुक्ला एवं 110 अन्य याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि आठ मई 2020 को उत्तर कुंजी जारी की गई थी। जिसे हजारों लोगों ने चुनौती दी। कुल 150 सवालों में से 142 सवालों पर 20 हजार लोगों ने आपत्ति की। जो चयन अक्तूबर 20 व जनवरी 21 में पूरा हो जाना चाहिए था,20 हजार लोगों की आपत्तियों को तय करने में एक साल तक लटका रहा।
कोर्ट ने कहा कोर्ट विषय विशेषज्ञ नहीं हो सकती और न ही कोर्ट को सवालों के उत्तर की सत्यता की जांच करने का प्राधिकार है।विशेषज्ञ की राय अंतिम मानी जाएगी। कोर्ट तय नहीं कर सकती है कि विशेषज्ञों की राय सही है या गलत है। चुनौती देने वालों की जिम्मेदारी है कि यदि कोई सवाल का जवाब गलत है तो उसे गलत साबित करें। कोर्ट ने कहा प्रतियोगी परीक्षा की आंसर कुंजी जारी होते ही चुनौती देना एक फैशन बन गया है। बिना किसी ठोस आधार के मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए याचिकाएं दाखिल की जाती है। जो भर्ती प्रक्रिया को विलंबित करता है। कोर्ट ने कहा है याचीगण सवालों के उत्तर गलत साबित करने में नाकाम रहे हैं ।