प्रयागराज: देश के सवा लाख से अधिक प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद खाली हैं। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन आने वाले विद्यालयों में सरकार की ओर से 150 तक छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों और 100 तक छात्र संख्या वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद का सृजन नहीं किया गया है। प्रधानाध्यापक के पदों का सृजन नहीं होने से प्रदेश में कुल 158868 विद्यालयों में से मात्र 32033 विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापकों के पद सृजित किए गए हैं। इस प्रकार 126835 विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं।
प्रधानाध्यापकों के पद सृजित नहीं होने से प्रदेश के सवाल 8 से अधिक विद्यालयों में इंचार्ज प्रधानाध्यापकों से काम चल रहा है। विद्यालयों में तैनात सहायक अध्यापक को इंचार्ज प्रधानाध्यापक का भार तो दे ही दिया जाता है परंतु उन्हें अलग से वेतन आदि का लाभ नहीं दिया जाता है। इस मामले को 18 जुलाई को विधान परिषद सदस्य डॉ जयपाल सिंह एवं केदारनाथ सिंह ने उठाया। विधान परिषद सदस्यों ने कहा कि प्रधानाध्यापकों के पदों का सृजन नहीं होने से बेसिक शिक्षक के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। या शिक्षा व्यवस्था के साथ शिक्षकों के साथ अन्याय हैं। प्रमुख सचिव को भेजे पत्र में इन दोनों सदस्यों ने सवाल उठाया है कि प्रधानाध्यापक के बिना सवा लाख से अधिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
2009 से शिक्षकों को प्रमोशन का इंतजार।
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से लागू नियमों की मार सबसे अधिक प्रयागराज में नियुक्त प्रसिद्ध सहायक अध्यापक पर पड़ी है। एक ओर जहां प्रदेश के अधिकांश जिले में 2013 में नियुक्त सहायक अध्यापकों को प्रमोशन देकर प्रधानाध्यापक बना दिया गया है वही प्रयागराज में 2008 में नियुक्त सहायक अध्यापक को अंतिम बार प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति हुई है। यहां 2009 से नियुक्त शिक्षकों को आज भी प्रमोशन का इंतजार है।