शिक्षण कार्य के अलावा बीएलओ ड्यूटी, मोहल्ला क्लास, तमाम तरह की सूचनाएं देने वाले शिक्षकों पर एक और बोझ लाद दिया गया। उनके लिए नई चुनौती के रूप में बच्चों का डाटा फीडिंग कराना है। कम्प्यूटर उनके पास नहीं है। उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया। ऐसे में शिक्षक अपने मोबाइल के जरिए डाटा फीड करने में जुटे हैं। जबकि, शिक्षा विभाग से हर ब्लाक पर तीन कम्प्यूटर आपरेटर रखने के लिए बजट भी जारी कर दिया गया।
कोविड-19 के कारण स्कूल बंद चल रहे हैं। फिर भी बच्चों को मोहल्ला क्लास के जरिए शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़े रखने का प्रयास किया जा रहा। इस सारे कामों के बीच शिक्षकों के पाले में एक झंझटी काम आ गया। उन्हें छात्र-छात्राओं का डाटा फीडिंग कराने पर लगा दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्कूलों के पास कम्प्यूटर नहीं हैं। उन्हें फीडिंग के लिए कोई ट्रेनिंग भी नहीं दी गई। ऐसी स्थिति में शिक्षक मोबाइल के जरिए डाटा फीड करने में जुटे हैं। डाटा फीडिंग न होने पर बीईओ शिक्षकों का वेतन रोकने की चेतावनी दे रहे हैं। जिसे लेकर शिक्षकों में काफी ज्यादा रोष व्याप्त है। शिक्षक संघ ने विरोध के स्वर भी बुलंद करना शुरू कर दिए हैं।
आधार नंबरों में गड़बड़ी, मिसमैच होना बना सिरदर्द
=शिक्षकों के सामने एक नहीं तमाम मुसीबतें मुंह खोले खड़ी हैं। मोबाइल के जरिए फीडिंग करना ही बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ बच्चों का डाटा मिसमैच होना भी सिरदर्द बनता जा रहा। मजबूरी में शिक्षक डाटा में गड़बड़ी वाले बच्चों का नाम कागज पर नोट कर रहे हैं। जिससे बाद में मार्गदर्शन को मांगा जा सकें7
शिक्षकों पर थोपा जा रहा काम
-शिक्षकों के सामने बड़ी टेंशन हैं। कम्प्यूटर और ट्रेनिंग न होने के चलते शिक्षकों का डाटा फीडिंग करने में दिक्कत आ रही है। महानिदेशक का आदेश है कि हर ब्लाक पर कम्प्यूटर आपरेटर रखकर फीडिंग कराई जाए, परन्तु शिक्षकों के ऊपर काम थोपा जा रहा। इसे लेकर शिक्षक संघ आवाज को बुलंद करेगा।