प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीटीसी पुनर्परीक्षा (बैक पेपर) में उत्तीर्ण उन अभ्यर्थियों की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है, जिनका अभ्यर्थन 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के आवेदन की अंतिम तिथि पर बीटीसी डिग्री न होने के आधार पर निरस्त कर दिया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने पवन कुमार की याचिका पर अधिवक्ता तरुण अग्रवाल व प्रशांत मिश्र को सुनकर दिया है। याचिका के अनुसार याची 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थी हैं। उन्हें अंततः इसी क्रम में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई। याचियों को पक्ष रखने का मौका दिए बगैर इस आधार पर उनका अभ्यर्थन निरस्त कर दिया गया कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 की आवेदन की अंतिम तिथि पर उनके पास बीटीसी डिग्री नहीं थी।
इसके अलावा याचियों को पांच मार्च 2021 के शासनादेश का भी लाभ नहीं दिया गया जबकि याचियों के समान अन्य अभ्यर्थियों को उसी शासनादेश के अनुपालन में विभिन्न जनपदों में नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया है। इस कारण याचियों के समानता के अधिकार का हनन हुआ है। कहा गया है कि याचियों के अभ्यर्थन निरस्त करने का निर्णय इस विधि व्यवस्था के भी विरुद्ध है कि सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा मात्र योग्यता निर्धारण परीक्षा है।
अहर्ता के लिए सुसंगत तिथि भर्ती प्रक्रिया के आवेदन की अंतिम तिथि होगी, न कि योग्यता परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि के अनुसार अहर्ता का आगणन किया जाएगा।