गोरखपुर: बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की तर्ज पर अब आंगनबाड़ी केंद्रों का भी कायाकल्प कराने की तैयारी है। डीपीओ (जिला कार्यक्रम अधिकारी) और सभी सीडीपीओ (बाल विकास परियोजना अधिकारी) एक-एक आंगनबाड़ी केंद्र को गोद लेंगे
इस केंद्र को संसाधन युक्त बनाकर अन्य केंद्रों के लिए मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा जिन अफसरों ने कुपोषण मिटाने के लिए गांवों को गोद लिया है, वह भी संबंधित केंद्र को साधन संपन्न बनाएंगे। जिले में कुल 4237 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें से 692 केंद्र शहरी व 3545 केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में हैं। अधिकांश केंद्र साधन विहीन हैं। इससे ये केंद्र छह साल से कम उम्र के बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाओं व किशोरियों के समुचित पोषण का उद्देश्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। अमर उजाला ने सात अक्तूबर को आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाली की खबर को प्रमुखता से उठाया भी था।
आंगनबाड़ी केंद्रों की इस बदहाली से उबारने के लिए डीपीओ ने अपने स्तर से प्रयास शुरू किया है। इसके लिए जो कार्ययोजना बनी है उसके अनुसार डीपीओ अपने आवास के नजदीक वाले आंगनबाड़ी केंद्र को गोद लेंगे। इसी तरह सभी सीडीपीओ अपने क्षेत्र के एक केंद्र को गोद लेंगे। वहां कार्यकर्ता के बैठने के लिए फर्नीचर, केंद्र से मिलने वाली सुविधाओं की सूची, वजन मशीन आदि का इंतजाम होगा।
पंचायतीराज से ली जाएगी मदद
ग्रामीण क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा संपन्न बनाने के लिए पंचायतीराज विभाग की मदद ली जाएगी। पंचायतों में ऑपरेशन कायाकल्प के तहत प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों को सुविधा संपन्न बनाया जा रहा है। उसी के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी फर्नीचर, बिजली-पंखा आदि का प्रबंध कराने का प्रयास होगा।
गोद लिए अफसर भी सुधारेंगे हालात
जिले के अति कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए 235 गांव अफसरों को गोद दिए गए हैं। इनमें से 32 अफसर जिला स्तरीय हैं, जबकि शेष तहसील व ब्लॉक स्तरीय अफसर हैं। इन सभी अफसरों को अपने गोद लिए गांवों के आंगनबाड़ी केंद्र को सुदृढ़ करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत सुधारने के लिए थोड़े से अतिरिक्त प्रयास की जरूरत है। मैं स्वयं एक केंद्र को गोद लेकर उसे सुविधा संपन्न बनाऊंगा। इसके अलावा सभी सीडीपीओ भी अपने क्षेत्र के एक केंद्र को मॉडल बनाएंगे। जिन अफसरों को गांव गोद दिया गया है, उनसे भी अनुरोध किया जाएगा कि वे संबंधित केंद्र को सुविधा संपन्न बनाएं। अगर प्रयास सफल रहा तो गोरखपुर पूरे यूपी में नजीर बन जाएगा।