उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में शामिल होने की उम्मीद संजोए करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थी पहली ही पायदान पर अटक गए हैं। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) से डीएलएड करने वालों को अभी मान्य नहीं किया गया है, जबकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने जनवरी में ही इस पाठ्यक्रम को मान्य करने के लिए सरकारों को पत्र लिखा था। अब सरकार के निर्णय पर सभी की निगाहें टिकीं हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में वे अभ्यर्थी ही शामिल हो सकते हैं, जो केंद्र या राज्य की टीईटी उत्तीर्ण हों। एनआइओएस से डीएलएड कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों को अब तक यह मौका नहीं मिल सका है, जबकि इस परीक्षा में उन शिक्षामित्रों को अवसर दिया जा चुका है, जो पत्राचार के माध्यम से डीएलएड कर चुके थे, इसकी वजह एनसीटीई की नियमावली रही है।
इसी आधार पर बिहार राज्य की सरकार ने भी कुछ एनआइओएस से डीएलएड करने वालों के आवेदन निरस्त कर दिए थे। वे अभ्यर्थी हाई कोर्ट पहुंचे और न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। इसी के बाद एनसीटीई के उप सचिव टी प्रीतम सिंह ने छह जनवरी को देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा, इसमें कहा गया कि वे एनआइओएस डीएलएड को मान्य कर सकते हैं।
निर्देश के बाद उम्मीद थी कि सरकार यूपीटीईटी में एनआइओएस के डीएलएड को मान्य कर देगी लेकिन, इस बार भी उन्हें मौका नहीं दिया गया। कुछ अभ्यर्थियों ने यूपीटीईटी की नियमावली को चुनौती दी तो कोर्ट ने याचियों को शामिल करने का निर्देश दिया है, अन्य हजारों अभ्यर्थी अब भी दूर हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने शासन को प्रस्ताव भेजा है कि याचियों को यूपीटीईटी में शामिल करने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने यह भी माना कि इसके बाद अन्य अभ्यर्थी भी कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
2018 व 2019 में भी हो गए थे बाहर : यूपीटीईटी की 2018 व 2019 से भी एनआइओएस के डीएलएड अभ्यर्थियों को बाहर किया गया था। 2018 में अभ्यर्थी यूपीटीईटी की लिखित परीक्षा में शामिल हो गए थे, लेकिन उन्हें प्रमाणपत्र नहीं दिया गया, जबकि 2019 में आवेदन ही स्वीकार नहीं किए गए। हालांकि उस समय एनसीटीई ने राज्य सरकार को निर्देश नहीं दिया था। यूपीटीईटी के लिए इन दिनों आवेदन लिए जा रहे हैं। परीक्षा संस्था ने भले ही याचियों के लिए प्रस्ताव भेजा है लेकिन, अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि सरकार सबको अवसर दे सकती है।
प्रकरण नीतिगत करेंगे विचार : बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डा. सतीश कुमार द्विवेदी ने कहा है कि प्रकरण नीतिगत है। इस पर विचार करेंगे कि न्यायालय, एनसीटीई व परीक्षा संस्था ने क्या आदेश व सुझाव दिए हैं। पूरे मामले को देखकर सरकार उचित निर्णय करेगी।