UPSC परीक्षा पास करने के लिए तीन चरणों से हर एक उम्मीदवार को गुजरना होता है, जो भविष्य में IAS, IPS बनने का सपना देखते हैं। ये तीन चरण हैं, प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू. जो उम्मीदवार प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा में पास हो जाते हैं, उन्हें इंटरव्यू में बैठने का मौका दिया जाता. ये UPSC परीक्षा का सबसे जरूरी और आखिरी चरण होता है. UPSC इंटरव्यू में उम्मीदवारों की पर्सनालिटी चेक की जाती है. ये देखा जाता है कि उम्मीदवार एक अधिकारी बनने के लायक है या नहीं. उनके हर हाव – भाव को बारिकी से परखा जाता है।
UPSC इंटरव्यू के लिए उम्मीदवार कई सालों तक मेहनत करते हैं. खुद को इंम्प्रूव करने के लिए कई मॉक इंटरव्यू में शामिल होते हैं। यूपीएससी में 5वां स्थान हासिल करने वाली ममता यादव भी कई मॉक इंटरव्यू में शामिल हुई, जिसमें उनसे कई तरह के सवाल पूछे. आइए जानते हैं उनके बारे में.
painting of mughal emperor jahangir
UPSC मेंस परीक्षा पास कर इंटरव्यू में बैठने जा रहे उम्मीदवारों को डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (DAF) भरना जरूरी होता है। जिसमें वह अपनी डिटेल्स भरते हैं. ममता यादव ने DAF फॉर्म में बताया कि उन्हें पेटिंग का शौक हैं, ऐसे में उनसे UPSC मॉक इंटरव्यू में पेटिंग से जुड़ा प्रश्न पूछा गया।
बोर्ड मेंबर ने पूछा, “ऐसा कहा जाता है कि मुगल पेटिंगा का स्वर्ण काल (golden period) जहांगीर के शासनकाल के दौरान था, आप हमें ये बताइए, जहांगीर के टाइम के सबसे प्रसिद्ध चित्रकार कौन थे? हालांकि वह इसका जवाब नहीं दे पाई.
आपको बता दें. मुगल चित्रकला अकबर, जहांगीर और शाहजहां के शासनकाल के दौरान समृद्ध हुईं और जहांगीर का काल मुगल चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है। जहांगीर ने 1605 से 1627 तक भारत पर शासन किया और उन्होंने कला के कई रूपों, मुख्य रूप से चित्रों को भारी समर्थन दिया। जहांगीर के शासनकाल ने ब्रशवर्क में और अधिक फिनिशिंग देखी, साथ ही दबे और हल्के रंगों का उपयोग किया। भारत में मुगल काल के चित्रों के प्रमुख प्रसंगों ने जहांगीर के जीवन से उदाहरण लिए, और चित्र, फूल, पक्षी, जानवर इत्यादि का भी चित्र बनवाए।
मुगल काल के चित्रों के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में चित्रांकन का समावेश है। जहांगीरनामा, सम्राट जहांगीर की जीवनी है जिसमें चित्र शामिल हैं। जहांगीर यूरोपीय चित्रकला से काफी हद तक प्रभावित थे और मुगल चित्रकार ने उनकी काल में महीन ब्रश स्ट्रोक और हल्के रंगों का प्रयोग किया था।
पटना यूनिवर्सिटी की M.A सेमेस्टर -2 किताब में जहांगीर काल के मुगल आर्ट का का जिक्र है। जिसमें लिखा है कि पोर्ट्रेट पेंटिंग भी जहांगीर काल के दौरान प्रचलन में आई थी, मंसूर, अब्दुल हसन और बिशनदास जहांगीर के दरबार में महान पेंटर थे। मंसूर को जहांगीर ने नादिर-उल-असर की उपाधि प्रदान की गई थी। इस अवधि के दौरान, मुगल चित्रकारों पर पश्चिमी चित्रकला का प्रभाव अधिक स्पष्ट हो गया।