कोर्ट का आदेश
● 68500 भर्ती में चयनित दो हजार शिक्षकों को होगा लाभ
● अभ्यर्थियों ने गलत जिला आवंटन का लगाया था आरोप
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत चयनित मेरिटोरियस रिजर्व कैटेगरी (एमआरसी) के अभ्यर्थियों को तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद एक महीने के अंदर मनपसंद जिले में तैनाती मिलेगी। इससे दो हजार से अधिक शिक्षकों को लाभ मिलेगा। अमित शेखर भारद्वाज व अन्य की ओर से दायर विशेष अपील में हाईकोर्ट ने 14 सितंबर को चार महीने में एमआरसी अभ्यर्थियों को उनके पसंद के जिले में और अनारक्षित अभ्यर्थियों को उनके तीन विकल्प के आधार पर तैनाती के आदेश दिए थे।
इसके बाद इन अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा परिषद और शासन को प्रत्यावेदन दिए। इसी क्रम में प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने 10 दिसंबर के शासनादेश में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद तैनाती करने को कहा ताकि अवमानना की स्थिति न हो। अभ्यर्थियों का कहना है कि तय समय सीमा 14 जनवरी 2022 तक तैनाती नहीं होती तो सचिव बेसिक शिक्षा परिषद पर अवमानना याचिका दाखिल करने के लिए बाध्य होंगे। 68500 शिक्षक भर्ती के चयनितों को पांच सितंबर 2018 को नियुक्ति पत्र दिया गया था। पहली लिस्ट में चयनित आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को दूर-दराज के जिलों में तैनाती दे दी गई थी जबकि दूसरी सूची में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके गृह जनपद या पसंदीदा जिले में पदस्थापित कर दिया था।
क्यों दोबारा जिला आवंटन पर अड़े
प्रयागराज। 68500 भर्ती से सरकार ने नियम लागू कर दिया था कि इन शिक्षकों का दोबारा अंतर जनपदीय तबादला नहीं होगा। काफी संख्या में शिक्षकों को उनके घर से सैकड़ों किमी दूर दूसरे जिलों में नौकरी मिली है। भविष्य में अपने जिले में वापसी की उम्मीद भी नहीं। इसलिए एमआरसी अभ्यर्थी दोबारा जिला आवंटन की मांग कर रहे हैं ताकि अपने गृह जनपद या आसपास के जिले में पहुंच जाएं।