प्रयागराज : सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय ने नई दिल्ली की जिस आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड को यूपीटीईटी परीक्षा का पेपर छापने का ठेका दिया था, उसके अधिकारियों से पूरी डील शहर में ही हुई थी। सचिव ने प्रिंटिंग प्रेस की जांच के बिना ही कंपनी को काम दे दिया था। कंपनी ने चार अलग-अलग प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छपवाए, जिससे छपाई के बाद ही पेपर लीक हो गया था।
यूपीटीईटी परीक्षा के लिए सचिव ने 26 अक्तूबर को आरएसएम फिनसर्व कंपनी को प्रश्नप्रत्र की छपाई के लिए वर्कआर्डर दिया था। कंपनी के लोग सचिव से काफी पहले से ही सेटिंग में लगे थे। कंपनी के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने शहर में किसी स्थान पर संजय उपाध्याय से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ही कंपनी को पेपर छापने का ठेका मिल गया।
इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा का प्रश्नपत्र कहां छपेगा, सचिव ने न तो इसकी कोई जांच कराई न ही कंपनी से इस तरह के काम का कोई अनुभव प्रमाणपत्र मांगा। कंपनी के पास सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस था ही नहीं। कंपनी ने चार अलग प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छपवाए। हर स्तर पर लापरवाही बरती गई। एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक संजय उपाध्याय ने एक ऐसी कंपनी को बिना जांच के ही काम दे दिया, जोकि प्रश्नपत्र मुद्रित करने में सक्षम ही नहीं थी।
संजय ने पूछताछ के दौरान अपनी इस गलती को स्वीकार कर लिया। संजय के खिलाफ धारा 420, 409 और 120 बी के तहत नोएडा में रिपोर्ट दर्ज की गई है। इस बात की जांच की जा रही है कि आखिर किस डील के तहत कंपनी को इतना बड़ा वर्कआर्डर दे दिया गया। संभावना है कि इस मामले में और लोगों की गिरफ्तारी की जा सकती है।