अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2013 में भी अभ्यर्थियों को अनावश्यक लाभ देकर कंप्यूटर टेस्ट के लिए क्वालीफाई कराए जाने का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश लोक आयोग की अपनी ही जांच रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि 226 अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट के लिए क्वालीफाई कराया गया, जो आयोग के निर्णय के विरुद्ध था। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रतियोगी छात्रों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एपीएस परीक्षा-2013 की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
हालांकि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) एपीएस परीक्षा-2013 को पहले ही यह कहकर निरस्त कर चुका है कि भर्ती के विज्ञापन में सेवा नियमावली का उल्लंघन किया गया था। एपीएस भर्ती-2013 की सामान्य अध्ययन और सामान्य हिन्दी की परीक्षा 11 अक्टूबर 2015 और हिंदी शार्टहैंड एवं हिंदी टाइप की परीक्षा 16 से 25 फरवरी 2016 में कराई गई थी।
आयोग की परीक्षा समिति ने निर्णय लिया थर कि चारों परीक्षाओं में अर्हकारी अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को अंतिम चरण की कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा के लिए उत्तीर्ण किया जाएगा। आयोग ने यह निर्णय भी लिया था कि हिंदी शार्टहैंड की परीक्षा में अधिकतम पांच फीसदी त्रुटियां और 125 अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की दशा में ही अतिरिक्त छूट देकर आठ प्रतिशत त्रुटियों और 119 अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण किया जाएगा।
अनियमित तरीके से कर दिया उत्तीर्ण
आयोग द्वारा तैयार प्रवीणता सूची के अनुसार कुल विज्ञापित 176 पदों के सापेक्ष हिंदी शार्टहैंड परीक्षा में अधिकतम पांच फीसदी त्रुटि और 125 अंक प्राप्त करने वाले 821 अभ्यर्थी उपलब्ध थे, इसके बावजूद आठ फीसदी त्रुटि और 119 अंक प्राप्त करने वाले 226 अभ्यर्थियों को भी अनावश्यक रूप से उत्तीर्ण कर दिया गया।
अभ्यर्थियों ने जब इस अनियमितता की शिकायत आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार से की तो उन्होंने तत्कालीन सदस्य पीके सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन कर दिया। जांच समिति ने आयोग अध्यक्ष को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि आयोग द्वारा लिए गए निर्णय का अतक्रमण कर अपात्र अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराया गया है।
आयोग की 14 फरवरी 2020 को हुई बैठक में जांच रिपोर्ट पर विचार किया गया और कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। आयोग ने सेवा नियमावली के उल्लंघन का हवाला देते हुए पूरी भर्ती को निरस्त करके नया विज्ञापन जारी कर, दिया लेकिन अनियमित रिजल्ट जारी करने वाले कर्मचारियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की गई।
ठीक ऐसा ही मामला एपीएस भर्ती-2010 में सामने आया था, जिसमें सीबीआई ने आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ सहित आयोग के अज्ञात कुछ अफसरों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय कहना है कि एपीएस भर्ती-2013 में दोषियों को बचाया जा रहा है। अवनीश ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द करते हुए एफआईआर दर्ज कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
कहीं गलत तो कहीं जारी ही नहीं हुई उत्तरकुंजी
प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तरकुंजी को लेकर भी विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। एक तरफ उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा के तहत कई विषयों की गलत उत्तरकुंजी जारी कर दी तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस, आरओ/एआरओ जैसी बड़ी भर्ती परीक्षाओं के अंतिम चयन परिणाम तो घोषित कर दिए, लेकिन संशोधित उत्तरकुंजी जारी नहीं की।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में इस तरह की लापरवाही और लेटलतीफी प्रतियोगी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इस मामले में भी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अपने ही बनाए नियमों का उल्लंघन कर रहा है। अगर आयोग संशोधित उत्तरकुंजी शीघ्र जारी नहीं करता है तो अभ्यर्थी न्यायालय की शरण में जाएंगे