Home UP News यूपी चुनाव 2022 : प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को भारी पड़ सकती है यह गलतियां

यूपी चुनाव 2022 : प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को भारी पड़ सकती है यह गलतियां

by Manju Maurya

गाजियाबाद/नोएडा/हापुड़ भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने आखिरकार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव आयोग के ऐलान के तहत यूपी में कुल 7 चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में दिल्ली से सटे गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और हापुड़ की 11 सीटों समेत कुल 60 सीटों पर मतदान होगा, जबकि 10 मार्च को मतगणना होगी। चुनाव आयोग ने शनिवार को मतदान की तारीखों का ऐलान करने के साथ उम्मीदवारों के लिए भी गाइडलाइंस की घोषणा की है, जिसे हर हाल में मानना होगा। आइये हम बताते हैं कि आम जनता के साथ प्रत्याशियों के लिए कैसी गाइडालाइंस जारी की गई है।

प्रत्याशी न करें गलतीं, चुनाव आयोग ने बनाए नियम

मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक, सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को डिजिटल तरीके से चुनाव प्रचार करना होगा। ऐसे में कोई भी रोड शो और बाइक रैली से साथ पदयात्रा की भी अनुमति नहीं है। ऐसे कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और प्रभाव के मद्देनजर नहीं किया गया है। फिलहाल 15 जनवरी तक यह सख्ती रहेगी, मसलन किसी भी तरह के भी जुलूस नहीं निकाल सकेंगे। 15 जनवरी को कोरोना की स्थिति के बाद निर्णय लिया जाएगा, हालात ठीक नहीं हुए तो इसके लिए आगे भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इसके बाद भी हालात की निगरानी की जाएगी। प्रत्याशियों को किसी भी तरह के रोड शो, नुक्कड़ सभा की भी अनुमति नहीं होगी। इसके साथ परिणाम के बाद कोई विजय रैली या जुलूस भी नहीं निकाला जाएगा।

40 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे प्रत्याशी

चुनाव आयोग पहले ही एक बड़ा ऐलान कर चुका है, जिसके तहत विधानसभा क्षेत्रों और लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा बढ़ाई गई है। आयोग के मुताबिक, नई सीमा के तहत अब संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी 95 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे, जबकि इससे पहले वह 70 लाख रुपये खर्च कर सकते थे। इसी तरह विधानसभा क्षेत्रों में भी प्रचार के लिए प्रत्याशियों की खर्च सीमा भी बढ़ाई गई है। नई सीमा के तहत अब प्रत्याशी अपने क्षेत्रों में 40 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे। पहले यह खर्च सीमा 28 लाख रुपये होगी। नई खर्च सीमा इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भी लागू होगी।

चुनाव के दौरान कोई भी मंत्री सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
सरकारी संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और भवनों का चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते।
केंद्र सरकार हो या किसी भी प्रदेश की सरकार का नुमाइंद वह न तो कोई घोषणा कर सकता है और न शिलान्यास। इसके अलावा वह लोकार्पण भी नहीं कर सकता है।
सरकारी खर्च से प्रत्याशी खुद को लाभ दिलाने वाला आयोजन भी नहीं कर सकता है।
गलत बयानी और आपत्तिजनक भाषण नहीं दे सकते प्रत्याशी

भारतीय निर्वाचन आयोग की यह जिम्मेदारी होती है कि वह चुनाव निष्पक्ष कराए। इसके साथ कोई बवाल नहीं हो, इसे रोकने की जिम्मेदारी भी चुनाव आयोग की ही होती है। ऐसे में अगर किसी भी पार्टी का नेता या फिर उम्मीदवार आपत्तिजनक भाषण या बयानबाजी करता है तो वह कार्रवाई के दायरे में आएगा।

धार्मिक और जातीय आधार पर नहीं की जा सकती है टिप्पणी

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार, प्रत्याशी को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह जातीय अथवा धार्मिक भाषण दे, जिससे भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े और घृणा फैले। ऐसा भाषण देने पर प्रत्याशी के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान है।

मतदाता को नहीं दिया जा सकता है प्रलोभन

प्रत्याशी किसी भी प्रकार से प्रलोभन देकर मत हासिल करने की कोशिश करता है तो यह कार्रवाई के दायरे में आता है। मत पाने के लिए प्रत्याशी रिश्वत देता है तो चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है। इसके लिए उसके पास शिकायत जानी चाहिए।

उत्तर प्रदेश चुनाव का पूरा कार्यक्रम

पहला फेज: 10 फरवरी
दूसरा फेज-14 फरवरी
तीसरा फेज- 20 फरवरी
चौथा फेज- 23 फरवरी
पांचवां फेज- 27 फरवरी
छठा फेज- 3 मार्च
सातवां फेज- 7 मार्च
प्रलोभन में ना आएं, विवेक से करें मतदान

लोकतंत्र में मूल्य बहुत जरूरी हैं, ऐसे में लोगों की ही जिम्मेदारी है कि वे इन्हें बचाएं। चुनाव के दौरान मतदाताओं को निर्भीक होकर मतदान करना चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे बिना भय व लालच के मतदान करें। कोई प्रत्याशी प्रलोभन देता है, डराता या धमकाता है तो तत्काल पुलिस की मदद लें। किसी के प्रलोभन में न आएं, उनसे शराब, साड़ी आदि लेकर अपने वोट को न बेचें, अगर ऐसा करते है तो आपके गांव और क्षेत्र का विकास रुक जाएगा। ऐसे लोगों का चयन न करें कि मतदातायों को अगले 5 साल तक पछताना पड़े।

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