प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने वर्ष 2022 का भर्ती परीक्षा कैलेंडर तो जारी कर दिया, लेकिन इसमें दो महत्वपूर्ण भर्तियों को जगह नहीं दी। इनमें एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती और अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती शामिल हैं। इन दोनों भर्तियों के लिए आयोग को पदों का अधियाचन काफी पहले मिल चुका है और अभ्यर्थी इन भर्तियों के लिए आए दिन आयोग में ज्ञापन देते रहते हैं।
एलटी ग्रेड शिक्षक के 10768 पदों पर भर्ती के लिए वर्ष 2018 में विज्ञापन जारी किया गया था। चार साल से कोई नई भर्ती नहीं आई है, जबकि हजारों की संख्या में पद रिक्त पड़े हैं। सूत्रों के अनुसार यूपीपीएससी को एलटी ग्रेड शिक्षक के तकरीबन 1200 पदों का अधियाचन प्राप्त हो चुका है, लेकिन नया विज्ञापन जारी नहीं हो रहा है।
कुछ दिनों पहले इस पर अभ्यर्थियों ने आयोग में ज्ञापन सौंपा था। अभ्यर्थी चाहते थे कि यूपी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले विज्ञापन जारी कर दिया। अभ्यर्थियों को आश्वस्त किया गया था कि आचार संहिता का इस भर्ती पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि शासन स्तर से भर्ती से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
प्रतियोगी छात्र मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान का कहना है कि आयोग को पदों का अधियाचन मिल चुका है और भर्ती में कोई बाधा भी नहीं है। ऐसे में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती को परीक्षा कैलेंडर में शामिल करना चाहिए था। कैलेंडर में इस भर्ती को शामिल न किए जाने के कारण अभ्यर्थियोें में भर्ती को लेकर असमंजस की स्थिति है।
इंतजार में अभ्यर्थी हो गए हैं ओवरएज
आयोग के कैलेंडर में एपीएस भर्ती को भी जगह नहीं दी गई है, जबकि आयोग को तीन साल पहले ही एपीएस के तकरीबन ढाई सौ पदों का अधियाचन प्राप्त हो चुका है। नए विज्ञापन के इंतजार में तमाम अभ्यर्थी ओवरएज हो गए हैं।
एपीएस की पिछली भर्ती का विज्ञापन वर्ष 2013 में जारी किया गया था, जिसमें गड़बड़ी सामने आने के बाद आयोग ने भर्ती परीक्षा को ही निरस्त कर दिया। आयोग ने पुनर्विज्ञापन तो जारी किया, लेकिन पुनर्परीक्षा में सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को शामिल होने का मौका दिया जा रहा है, जिन्होंने पूर्व में आवेदन किए थे।
अभ्यर्थी दीपक कुशवाहा, वशिष्ठ त्रिपाठी, सुनील पाल, बादल भारतीया, उमेश चंद्र पांडेय का कहना है कि नौ साल से भर्ती के इंतजार में कई अभ्यर्थी ओवरएज हो गए हैं। आयोग के पास वर्षों से रिक्त पदों का अधियाचन पड़ा है, इसके बावजूद आयोग ने अपने कैलेंडर में भर्ती को जगह नहीं दी, जबकि इस भर्ती को प्रमुखता के साथ कैलेंडर में शामिल किया जाना चाहिए था।